हाइलाइट्स
- Air India Plane Crash में एक यात्री चमत्कारिक रूप से बचा, अस्पताल में चल रहा है इलाज
- हादसा गुरुवार दोपहर को हुआ, विमान उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद दुर्घटनाग्रस्त हुआ
- विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश और अन्य विदेशी नागरिक थे
- जिंदा बचे यात्री रमेश विश्वाश कुमार ने बताया, “चारों ओर लाशें थीं, मैं डर के मारे भागा”
- अभी तक मौतों की संख्या की पुष्टि नहीं, पुलिस और बचाव दल कर रहे हैं खोजबीन
गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को एक दिल दहला देने वाली घटना हुई जब Air India Plane Crash की खबर ने पूरे देश को हिला दिया। गैटविक (ब्रिटेन) जा रहे एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान ने जैसे ही उड़ान भरी, वैसे ही कुछ मिनटों में वह आवासीय क्षेत्र में गिरकर जल उठा। दुर्घटना के समय विमान में कुल 242 लोग सवार थे।
यह विमान दोपहर 1:39 बजे अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ा था, लेकिन टेकऑफ़ के महज 30 सेकंड बाद ही उसमें तकनीकी खराबी आ गई और वह तेजी से नीचे गिरा। हादसा इतना भयानक था कि घटनास्थल पर मलबे और लाशों के अलावा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था।
क्या हुआ उस दिन? चश्मदीद का बयान
जीवित बचे रमेश विश्वाश कुमार की आपबीती
हादसे में एक मात्र जीवित बचे व्यक्ति रमेश विश्वाश कुमार (40 वर्ष) ने Air India Plane Crash को लेकर जो बयान दिया, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है। उन्होंने ANI से बात करते हुए कहा,
“जैसे ही विमान ने उड़ान भरी, एक जोरदार धमाका हुआ और चारों ओर आग लग गई। जब मैं उठा, तो मेरे चारों ओर लाशें बिखरी थीं। मैं किसी तरह भागकर बाहर निकला।”
रमेश फिलहाल अहमदाबाद के सिविल अस्पताल, असरवा में भर्ती हैं। उनके सीने, आंखों और पैरों पर गंभीर चोटें आई हैं। डॉक्टरों की एक टीम उनकी स्थिति पर नज़र रखे हुए है।
कौन हैं रमेश विश्वाश कुमार?
रमेश मूल रूप से बिहार से हैं, लेकिन पिछले 20 वर्षों से लंदन में रह रहे हैं। वह अपने भाई अजय कुमार रमेश (45 वर्ष) के साथ भारत आए थे और अब लौटते वक्त इस हादसे का शिकार हो गए। हादसे के वक्त दोनों भाई विमान में अलग-अलग पंक्तियों में बैठे थे।
रमेश ने कहा,
“हम यूके के लिए रवाना हुए थे, लेकिन हादसे में मेरे भाई लापता हो गए हैं। कृपया उनकी तलाश में मेरी मदद करें।”
उनकी यह अपील सुनकर पूरे अस्पताल परिसर में सन्नाटा पसर गया।
विमान में कितने लोग थे?
यात्रियों की सूची और राष्ट्रीयता
एयर इंडिया की ओर से जारी बयान के अनुसार, Air India Plane Crash में सवार यात्रियों में:
- 169 भारतीय नागरिक
- 53 ब्रिटिश नागरिक
- 7 पुर्तगाली
- 1 कनाडाई नागरिक
शामिल थे। इसके अलावा, चालक दल के 11 सदस्य भी विमान में मौजूद थे।
आग की लपटों में घिरा विमान
विमान जैसे ही आवासीय क्षेत्र में गिरा, वहां मौजूद कई घरों में भी आग लग गई। चश्मदीदों के अनुसार, “विमान से बहुत तेज आवाज आई और फिर कुछ ही पलों में वह धुएं और आग की लपटों से घिर गया।”
बचाव कार्य में तेजी
फायर ब्रिगेड, NDRF और स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंच चुकी है और राहत-बचाव कार्य में जुटी है। कई शवों को अब तक बरामद किया गया है, लेकिन संख्या बढ़ सकती है।
अस्पतालों में रोते-बिलखते परिजन
अहमदाबाद के कई अस्पतालों में Air India Plane Crash में सवार यात्रियों के परिजन इधर-उधर भागते देखे गए। कोई भाई को खोज रहा है, तो कोई माँ या पत्नी को। रमेश के अनुसार,
“मुझे अस्पताल लाने वाले ने कहा था कि कुछ लोग और भी जिंदा हो सकते हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि मेरा भाई भी सुरक्षित हो।”
दुर्घटना का कारण क्या?
DGCA और विमानन मंत्रालय की जांच
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने Air India Plane Crash की जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, टेकऑफ़ के तुरंत बाद विमान में इंजन फेल्योर हुआ था, जिससे वह संतुलन खो बैठा।
ब्लैक बॉक्स की तलाश जारी
ब्लैक बॉक्स को ढूंढने का काम तेज कर दिया गया है, ताकि दुर्घटना के वास्तविक कारण का पता लगाया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम, तकनीकी गड़बड़ी और पायलट की प्रतिक्रिया—तीनों की भूमिका को जांचा जाएगा।
सरकार की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री कार्यालय ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा है कि इस Air India Plane Crash में जान गंवाने वालों के परिवार को हर संभव सहायता दी जाएगी। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने भी ट्वीट कर कहा,
“हमें इस दुर्घटना से गहरा दुख है। सभी संबंधित एजेंसियां राहत कार्य में लगी हुई हैं।”
क्या था विमान का मॉडल?
Boeing 787-8 Dreamliner
यह वही विमान मॉडल है जिसे “ड्रीमलाइनर” कहा जाता है। यह लंबी दूरी के इंटरनेशनल उड़ानों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। हालांकि इस मॉडल में अतीत में भी कुछ तकनीकी दिक्कतें सामने आई थीं।
Air India Plane Crash एक गंभीर त्रासदी है जो न केवल टेक्नोलॉजी की सीमाएं उजागर करता है, बल्कि हमारी आपातकालीन तैयारियों की भी परीक्षा लेता है। रमेश विश्वाश कुमार जैसे चमत्कारिक रूप से बचने वाले लोग हमें यह याद दिलाते हैं कि जिंदगी किस तरह क्षण भर में बदल सकती है।
यह समय है जब सरकार, विमानन कंपनियां और नागरिक मिलकर यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसे हादसे न हों। टेक्नोलॉजी को बेहतर बनाना, कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना और यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानना अब हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।