Eid Al Adha 2025

बकरीद से पहले डॉ. उमर इलियासी ने क्यों कहा – कुर्बानी दिखावे के लिए नहीं होती?

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हाइलाइट्स

  • Eid Al Adha 2025 को लेकर उमर अहमद इलियासी ने कुर्बानी को लेकर मुसलमानों को अहम सलाह दी

  • बकरीद केवल बकरे की ईद नहीं, बलिदान, त्याग और समर्पण का त्योहार है

  • सरकार द्वारा तय नियमों और कुर्बानी की निर्धारित जगहों का पालन करें

  • हिंदू और जैन समुदाय की आस्था का रखें विशेष ध्यान

  • कुर्बानी के फोटो-वीडियो न बनाएं, दिखावे से बचें: इलियासी

Eid Al Adha 2025: बकरीद का संदेश – संयम, समर्पण और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक

ईद उल अज़हा जिसे आम बोलचाल में बकरीद कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। Eid Al Adha 2025 की तारीख जैसे-जैसे नज़दीक आ रही है, देशभर में धार्मिक जोश और श्रद्धा का माहौल बनता जा रहा है। इस बीच ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख डॉ. उमर अहमद इलियासी ने देश के मुसलमानों को एक ज़िम्मेदार और सुसंस्कृत संदेश दिया है।

Eid Al Adha 2025: क्यों है यह पर्व इतना विशेष?

Eid Al Adha 2025 न केवल इस्लामिक परंपरा की गहराई को दर्शाता है, बल्कि यह इंसानियत, भाईचारे और सामाजिक समरसता की मिसाल भी पेश करता है। यह पर्व पैगंबर इब्राहीम की उस कुर्बानी की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने खुदा की आज्ञा पर अपने बेटे को कुर्बान करने को तैयार हो गए थे। हालांकि, खुदा ने एक जानवर भेजकर बेटे की जगह उस जानवर की कुर्बानी ली।

इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में डॉ. इलियासी ने स्पष्ट किया कि यह त्योहार केवल बकरे की कुर्बानी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मसमर्पण, आज्ञाकारिता और सेवा का प्रतीक है।

डॉ. उमर अहमद इलियासी का मुसलमानों से विनम्र आग्रह

‘ये बकरे की ईद नहीं, यह ईद-उल-अज़हा है’

Eid Al Adha 2025 के सन्दर्भ में डॉ. इलियासी ने सबसे पहले इस भ्रांति को दूर किया कि यह केवल जानवर की कुर्बानी का पर्व है। उन्होंने कहा, “यह पर्व त्याग और समर्पण का है, न कि दिखावे या परंपरा निभाने भर का।”

 ‘भारत एक सेक्युलर देश है, नियमों का पालन अनिवार्य’

उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है और यही इसकी सुंदरता है। Eid Al Adha 2025 पर मुसलमानों को चाहिए कि वे केवल उन्हीं जानवरों की कुर्बानी करें जिनकी अनुमति प्रशासन ने दी है।

“हर जगह कुर्बानी करना उचित नहीं। तयशुदा स्थानों पर ही यह प्रक्रिया संपन्न होनी चाहिए।”

Eid Al Adha 2025 और सफाई व्यवस्था का महत्व

डॉ. इलियासी ने साफ तौर पर कहा कि Eid Al Adha 2025 के दौरान कुर्बानी के समय हाइजीन का विशेष ध्यान रखा जाए।

 ‘खून और गंदगी से बचें, स्वच्छता बनाए रखें’

उन्होंने यह भी कहा कि अगर कुर्बानी खुले में की जाती है और उसका खून हर जगह फैलता है तो यह न केवल अस्वास्थ्यकर है, बल्कि इससे अन्य समुदायों की भावनाएं भी आहत हो सकती हैं।

धार्मिक सहिष्णुता और सामुदायिक सौहार्द का संदेश

 ‘हिंदू और जैन भाइयों की आस्था का करें सम्मान’

डॉ. इलियासी ने कहा कि Eid Al Adha 2025 के अवसर पर मुसलमानों को यह समझना होगा कि वे केवल अपने ही नहीं, बल्कि अपने पड़ोसियों की आस्थाओं का भी सम्मान करें।

“अगर आपके पड़ोस में हिंदू भाई ज्यादा हैं तो आपको ज्यादा सतर्क रहना होगा।”

Eid Al Adha 2025 पर फोटो और वीडियो का विरोध

 ‘कुर्बानी दिखावे का नाम नहीं’

डॉ. इलियासी ने मुसलमानों से यह भी कहा कि Eid Al Adha 2025 पर जानवरों की कुर्बानी के समय न तो फोटो लें और न ही वीडियो बनाएं।

“अगर आपकी कुर्बानी से किसी का दिल दुखेगा तो वह अल्लाह के दरबार में कबूल नहीं होगी।”

शांति और भाईचारे की दिशा में एक अहम पहल

Eid Al Adha 2025 एक अवसर है जिसमें समाज में प्रेम, सहिष्णुता और त्याग की भावना को पुनः जीवंत किया जा सकता है। डॉ. इलियासी की यह पहल समाज के सभी वर्गों के बीच बेहतर तालमेल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

 Eid Al Adha 2025 का मूल संदेश – इंसानियत सबसे ऊपर

डॉ. उमर अहमद इलियासी द्वारा दिया गया संदेश न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक उत्तरदायित्व और संवेदनशीलता का भी प्रतीक है। Eid Al Adha 2025 सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक ऐसी मिसाल है जिसमें हर व्यक्ति की आस्था, भावना और समाज के हित का ध्यान रखा गया है।

इस ईद, आइए हम सभी संकल्प लें:

  • नियमों का पालन करें
  • स्वच्छता बनाए रखें
  • दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें
  • कुर्बानी को दिखावे का माध्यम न बनाएं
  • सच्चे दिल से अल्लाह के लिए कुर्बानी करें

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