हाइलाइट्स
- यह गाँव Women Empowerment का अनोखा और प्रभावशाली उदाहरण पेश करता है।
- पुरुषों की स्थायी एंट्री पर है सख्त पाबंदी, केवल जरूरी कामों के लिए ही मिलती है अनुमति।
- महिलाओं ने खुद अपने बलबूते पर बनाया है प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक ढांचा।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार में महिलाओं ने किया है जबरदस्त सुधार।
- यह मॉडल देश और दुनिया भर में बन रहा है महिला सशक्तिकरण की प्रेरणा।
महिलाओं के लिए स्वराज: एक गाँव की क्रांतिकारी कहानी
भारत में कई बार Women Empowerment पर चर्चा होती है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे हैं जहाँ यह केवल शब्द नहीं बल्कि जीवंत हकीकत है। राजस्थान के एक छोटे से गाँव ‘अनोखिया’ में महिलाओं ने न सिर्फ घर बल्कि पूरा गाँव अपने हाथों में संभाल लिया है। इस गाँव में पुरुषों की स्थायी एंट्री पर रोक है और हर निर्णय केवल महिलाएं मिलकर लेती हैं।
गाँव का परिचय: ‘अनोखिया’ क्यों है अनोखा?
राजस्थान के एक दूरस्थ क्षेत्र में स्थित यह गाँव एक दशक पहले तक भी सामान्य ग्रामीण संरचना का हिस्सा था। लेकिन महिलाओं ने जब घरेलू हिंसा, शिक्षा में पिछड़ापन और बेरोज़गारी से लड़ने का निर्णय लिया, तब इस गाँव ने Women Empowerment की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया।
प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह महिलाओं के हाथ में
गाँव की सरपंच, सचिव, स्वास्थ कार्यकर्ता, यहाँ तक कि पंचायत स्तर के सभी पदों पर महिलाएं कार्यरत हैं। हर निर्णय पंचायत में होता है और पंचायत की सदस्य सिर्फ महिलाएं हैं। गाँव के नियमों के अनुसार कोई भी पुरुष यहाँ स्थायी रूप से निवास नहीं कर सकता।
पुरुषों पर क्यों है बैन?
यह सवाल स्वाभाविक है कि Women Empowerment के नाम पर पुरुषों को बाहर क्यों रखा गया है? इसका जवाब गाँव की वरिष्ठ सदस्य शीलादेवी देती हैं –
“यह गाँव किसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि महिलाओं के लिए सुरक्षित और स्वतंत्र वातावरण देने की पहल है। जब महिलाओं को खुलकर जीने का मौका मिला, तब ही असली बदलाव संभव हो सका।”
पुरुष केवल विशिष्ट उद्देश्यों (जैसे कृषि प्रशिक्षण, चिकित्सा सेवा, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति) के लिए कुछ समय के लिए गाँव में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन उन्हें वहाँ रुकने की अनुमति नहीं होती।
शिक्षा में आया है क्रांतिकारी परिवर्तन
लड़कियों की पढ़ाई प्राथमिकता में
इस गाँव में अब 100% लड़कियां स्कूल जाती हैं। Women Empowerment का सबसे पहला प्रभाव शिक्षा में देखने को मिला। गाँव की महिलाएं स्वयं विद्यालय चलाती हैं और लड़कियों के लिए स्कॉलरशिप योजना भी शुरू की गई है।
शिक्षा से जुड़ी प्रमुख पहलें
- गाँव में बालिका पुस्तकालय की स्थापना
- STEM शिक्षा पर विशेष ज़ोर
- महिला शिक्षकों की नियुक्ति
आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर महिलाएं
इस गाँव में महिलाओं ने स्वरोज़गार को अपनाया है। बुनाई, हस्तशिल्प, जैविक खेती और डेयरी व्यवसाय में उन्होंने अभूतपूर्व सफलता पाई है। Women Empowerment के तहत सरकार से भी सहयोग मिला है।
प्रमुख व्यवसाय:
- महिला सहकारी समितियाँ
- स्वयं सहायता समूह
- जैविक उत्पादों का ऑनलाइन विपणन
स्वास्थ्य और स्वच्छता की नई तस्वीर
गाँव की महिलाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं में आत्मनिर्भरता विकसित की है। हर घर में सैनिटेशन है, और हर माह महिलाओं द्वारा स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया जाता है।
महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता: गाँव की रीढ़
- माँ और शिशु स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
- मासिक धर्म जागरूकता अभियान
- नियमित हेल्थ चेकअप और आयुर्वेदिक चिकित्सा सुविधा
Women Empowerment का यह मॉडल कैसे फैला रहा प्रेरणा
इस गाँव के अनुभव ने देश और दुनिया भर में महिला नेतृत्व की संभावनाओं को उजागर किया है। कई सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाएं इस मॉडल को देखने और अपनाने आई हैं।
गाँव का प्रभाव:
- दो अंतरराष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं
- नीति आयोग ने इस गाँव को “महिला सशक्तिकरण मॉडल” के रूप में मान्यता दी है
- कई राज्यों में ‘महिला ग्राम’ की अवधारणा पर कार्य शुरू
चुनौतियाँ भी आईं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी
बदलाव कभी भी आसान नहीं होता। गाँव की महिलाओं को पुरुष प्रधान मानसिकता, सामाजिक विरोध और कानूनी पेंच से जूझना पड़ा। लेकिन उनकी एकजुटता ने हर बाधा को पार किया।
यह सिर्फ एक गाँव नहीं, एक आंदोलन है
‘अनोखिया’ गाँव भारत में Women Empowerment का एक जीवंत प्रतीक बन चुका है। यह गाँव बताता है कि जब महिलाओं को नेतृत्व, सम्मान और निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलती है, तब समाज कैसे उन्नति की ओर बढ़ता है।