हाइलाइट्स
RBI का Currency Printing पर बड़ा फैसला, ₹2, ₹5 और ₹2000 के नोटों की छपाई बंद
₹500 का नोट बना भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़, कुल मुद्रा मूल्य का 86%
सिक्कों की संख्या और मूल्य दोनों में दर्ज हुई महत्वपूर्ण वृद्धि
डिजिटल करेंसी Currency Printing पर असर डालते हुए बनी नई दिशा
‘Sa-Mudra’ परियोजना से Currency Printing और करेंसी प्रबंधन होगा हाई-टेक
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में Currency Printing से जुड़ा एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसके अंतर्गत अब ₹2, ₹5 और ₹2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी गई है। यह कदम देश की मुद्रा प्रणाली को अधिक सुरक्षित, डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
इस फैसले का सीधा असर आम लोगों की जेब, बैंकों की रणनीति, और भविष्य की Currency Printing नीतियों पर पड़ेगा।
₹2000 का नोट धीरे-धीरे बाजार से बाहर
₹2000 के नोट, जिन्हें 2016 में विमुद्रीकरण के बाद तेजी से प्रचलन में लाया गया था, अब समाप्ति की ओर हैं। RBI के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 तक ₹3.56 लाख करोड़ के ₹2000 नोटों में से 98.2% बैंकिंग सिस्टम में वापस लौट चुके हैं। अब ये नोट Currency Printing सूची से पूरी तरह बाहर कर दिए गए हैं।
यह फैसला क्यों लिया गया?
- ₹2000 के नोट का उपयोग मुख्य रूप से संचय के लिए किया जा रहा था।
- लेनदेन में इनकी उपयोगिता सीमित रही।
- नकली नोटों का बड़ा हिस्सा इसी मूल्य वर्ग से जुड़ा था।
₹500 का नोट: Currency Printing का सबसे अहम हिस्सा
RBI की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में ₹500 का नोट सबसे अधिक प्रचलित मुद्रा बन चुका है। इसके बिना भारतीय बाजार की कल्पना करना मुश्किल है।
तथ्य:
- कुल प्रचलित नोटों का 41% हिस्सा ₹500 के नोट का है।
- मूल्य के लिहाज से यह योगदान 86% है।
क्यों बढ़ी मांग?
- अधिकतम लेनदेन ₹500 के नोट से हो रहे हैं।
- व्यापारिक संस्थानों और आम जनता के लिए यह सुविधाजनक मूल्यवर्ग है।
- नकली नोटों की पहचान के लिए इसमें उन्नत सुरक्षा फीचर जोड़े गए हैं, जिससे Currency Printing में यह सबसे विश्वसनीय विकल्प बन गया है।
सिक्कों की बढ़ती उपयोगिता और Currency Printing का नया रूप
जहां कुछ नोटों की Currency Printing बंद की गई है, वहीं सिक्कों के उपयोग में जबरदस्त वृद्धि हुई है।
FY25 में सिक्कों की स्थिति:
- कुल संख्या में 3.6% वृद्धि
- मूल्य में 9.6% वृद्धि
- ₹1, ₹2 और ₹5 के सिक्के सबसे अधिक प्रचलन में
- कुल सिक्कों का 81.6% हिस्सा इन्हीं से आता है
यह स्पष्ट संकेत है कि आम जनता अब छोटे मूल्य के लेन-देन में सिक्कों को अधिक प्राथमिकता दे रही है।
डिजिटल करेंसी और Currency Printing के बीच संतुलन
RBI की डिजिटल करेंसी (e₹) का प्रभाव Currency Printing की पारंपरिक प्रक्रिया पर भी पड़ा है। FY25 में डिजिटल करेंसी की वैल्यू 334% बढ़कर ₹1,016.5 करोड़ हो गई है।
डिजिटल ₹ में ₹500 की हिस्सेदारी:
- 84.4%
- मोबाइल ट्रांजैक्शन, QR कोड और UPI के माध्यम से यह सबसे अधिक प्रयोग में आने वाली डिजिटल राशि बन गई है।
यह बदलाव इस ओर संकेत करता है कि Currency Printing अब केवल भौतिक नोटों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि डिजिटल क्षेत्र में भी इसकी नई परिभाषा बन रही है।
नकली नोटों की चुनौती बनी हुई
हालांकि नकली नोटों की संख्या में कुल मिलाकर गिरावट देखी गई है, पर कुछ मूल्यवर्गों में यह समस्या बनी हुई है।
स्थिति:
- ₹10, ₹20 और ₹2000 के नकली नोटों की संख्या में गिरावट
- ₹200 और ₹500 के नकली नोटों में वृद्धि
यह स्पष्ट करता है कि Currency Printing में सुरक्षा फीचर को और अधिक सुदृढ़ करने की जरूरत बनी हुई है।
पर्यावरण के अनुकूल करेंसी प्रबंधन
नोट छपाई पर FY25 में ₹6,372.8 करोड़ खर्च हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। इसके साथ ही RBI अब पुराने और गंदे नोटों के निपटान में पर्यावरण के अनुकूल तरीके अपना रहा है।
उदाहरण:
- पुराने नोटों का उपयोग पार्टिकल बोर्ड और फर्नीचर बनाने में किया जाएगा।
- प्लास्टिक नोटों की जगह अब रिसायक्लेबल सामग्री पर ध्यान दिया जा रहा है।
यह बदलाव Currency Printing को न केवल अधिक टिकाऊ बना रहा है, बल्कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी की दिशा में भी एक सशक्त कदम है।
‘Sa-Mudra’ परियोजना: Currency Printing में टेक्नोलॉजी का नया युग
RBI ने ‘Sa-Mudra’ नामक परियोजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य करेंसी प्रबंधन को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है।
प्रमुख पहलू:
- BIS प्रमाणित नोट सॉर्टिंग मशीनों का उपयोग 1 नवंबर 2025 से अनिवार्य होगा।
- नोटों की गिनती, छंटाई और ट्रैकिंग अब स्वचालित तकनीकों के जरिए होगी।
- ‘MANI App’ दृष्टिबाधितों को नोट पहचानने में मदद करता है।
- ‘मोबाइल कॉइन वैन’ और ‘कॉइन मेला’ जैसी पहलें सिक्कों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक का हालिया निर्णय Currency Printing की दिशा में एक युगांतरकारी कदम है। ₹2, ₹5 और ₹2000 के नोटों की छपाई बंद करने से जहां नकली नोटों पर लगाम लगेगी, वहीं डिजिटल और सिक्कों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। तकनीकी नवाचारों और पर्यावरण संरक्षण के साथ यह फैसला भारत की मुद्रा नीति को एक नए मुकाम पर ले जाने का संकेत देता है।