हाइलाइट्स
- इस मामले में Police Brutality को लेकर पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं
- शादी समारोह में दलित परिवार पर हमला, दो लोग गंभीर रूप से घायल
- मल्लाह टोली के 20 से अधिक लोगों ने किया हमला, लाठी-डंडों और रॉड का हुआ इस्तेमाल
- जातिसूचक टिप्पणियों और लूटपाट की भी शिकायत दर्ज
- अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज, अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं
रसड़ा की घटना ने फिर उजागर की जातीय हिंसा की सच्चाई
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रसड़ा कस्बे में एक दलित लड़की की शादी समारोह के दौरान जिस तरह से जातिगत हमला हुआ, उसने न केवल सामाजिक ताने-बाने पर चोट पहुंचाई है, बल्कि Police Brutality और कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। घटना 30 मई की रात की है, जब मिशन रोड निवासी राघवेन्द्र गौतम की बहन की शादी चल रही थी। अचानक मल्लाह टोली के कुछ लोगों ने शादी समारोह में धावा बोल दिया और दलित होने के कारण शादी पर आपत्ति जताई।
हमला, लूट और जातिसूचक गालियों से दहला समारोह
हमलावरों की पहचान और उनकी मंशा
FIR के अनुसार, अमन साहनी, दीपक साहनी, राहुल और अखिलेश नामक चार मुख्य आरोपियों के साथ 15 से 20 अज्ञात लोगों ने शादी समारोह में प्रवेश किया। ये सभी लाठी, डंडे, रॉड और लोहे की पाइप से लैस थे। आरोप है कि इन लोगों ने समारोह में मौजूद मेहमानों पर हमला किया, गाली-गलौज की और यह कहते हुए उत्पात मचाया कि “दलित जाति के लोग मैरिज हॉल में शादी नहीं कर सकते।”
इस तरह की टिप्पणी न केवल भारत के संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन है, बल्कि सीधे तौर पर मानवाधिकारों का भी हनन है। इस पूरी घटना के दौरान पुलिस की कोई तत्काल कार्रवाई न होना Police Brutality के अंतर्गत निष्क्रियता की मिसाल पेश करता है।
घायल हुए दो लोग, नकदी और मोबाइल की लूट
हमले में अजय कुमार और मनन कांत नामक दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत अभी भी चिंताजनक बताई जा रही है। हमलावरों ने घटना के दौरान 8 हजार रुपये नकद और कई मोबाइल भी लूट लिए। यह पूरी घटना CCTV में कैद हो गई, बावजूद इसके Police Brutality का मामला तब सामने आया जब पुलिस ने 24 घंटे तक कोई गिरफ्तारी नहीं की।
बलिया (रसड़ा) की शादी में बवाल
स्वयंवर मैरिज हाल में 20 दबंगों ने बरातियों और घरातियों पर लोहे की रॉड और लाठियों से हमला कर दिया। दुल्हन का चचेरा भाई गंभीर रूप से घायल हुआ और अस्पताल से रेफर करना पड़ा। मोबाइल व नकदी भी लूटी गई। मामला CCTV में कैद, FIR दर्ज कर जांच जारी।#Ballia pic.twitter.com/2OhypLinPJ— Raghavendra Nath Mishra (@RaghavendraITV) June 1, 2025
कानून की नजरें बंद, Police Brutality पर जनता में रोष
FIR दर्ज लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं
कोतवाली प्रभारी विपिन सिंह ने बताया कि राघवेन्द्र गौतम की तहरीर के आधार पर विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता, IPC की धारा 147, 148, 149, 323, 504, 506 और SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं शामिल हैं। हालांकि, अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
यहां सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि जब आरोपियों की पहचान हो चुकी है और CCTV फुटेज भी मौजूद है, तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? क्या पुलिस जानबूझकर मामले को दबाने की कोशिश कर रही है? यही वह बिंदु है जहाँ Police Brutality की गंभीरता और गहराई को समझना जरूरी हो जाता है।
सामाजिक संगठनों और नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद दलित संगठनों और कई राजनीतिक दलों ने कड़ी निंदा की है। भीम आर्मी, बहुजन समाज पार्टी और अन्य सामाजिक संगठनों ने पुलिस की निष्क्रियता को लेकर धरना-प्रदर्शन की चेतावनी दी है। Police Brutality के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए इन संगठनों ने यह मांग की है कि आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए।
पुलिस की भूमिका पर उठते सवाल
क्या यह पुलिस की नाकामी या पक्षपात?
रसड़ा की इस घटना ने साफ तौर पर दर्शाया है कि जातीय भेदभाव आज भी समाज में गहराई से मौजूद है। लेकिन उससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि Police Brutality यानी पुलिस की निष्क्रियता और ढिलाई ने पीड़ितों को न्याय से दूर रखा है। अगर पुलिस तत्काल कार्रवाई करती, तो शायद हमलावरों को गिरफ्तार किया जा सकता था और पीड़ितों को राहत मिलती।
न्याय की उम्मीद या व्यवस्था की उदासीनता?
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि समाज में जातीय भेदभाव अब भी जीवित है और उसे खत्म करने के लिए कानून से ज्यादा इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। Police Brutality जैसे मामलों में यदि पुलिस समय रहते सक्रिय न हो, तो न्याय केवल एक किताब का शब्द बनकर रह जाता है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे न केवल आरोपियों को गिरफ्तार करें, बल्कि पुलिस की भूमिका की भी निष्पक्ष जांच कराएं ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और भविष्य में कोई भी दलित परिवार डर के साए में शादी न करे।