हाइलाइट्स
- Musalman Attack on Dalits: पाटण के भीलवण गाँव में डीजे बजाने को लेकर मुस्लिमों ने अनुसूचित जाति के विवाह समारोह पर हमला किया।
- 8 लोग घायल, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और गहनों की लूट की भी शिकायतें सामने आईं।
- 15 साल पुराने मंदिर विवाद को बताया गया हमले की असली वजह।
- हमला करने वालों में स्थानीय मुस्लिम नेता और उपसरपंच भी शामिल।
- पुलिस ने SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज कर 14 आरोपियों को हिरासत में लिया।
पाटण में डीजे बजाने को लेकर उपजा विवाद बना Musalman Attack on Dalits का कारण
गुजरात के पाटण जिले के सरस्वती तालुका स्थित भीलवण गाँव में एक अनुसूचित जाति के परिवार की बेटी की शादी समारोह के दौरान हुए हमले ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। यह हमला केवल डीजे बजाने पर नाराज़गी का मामला नहीं था, बल्कि इसके पीछे 15 साल पुराना मंदिर निर्माण विवाद भी एक बड़ा कारण था। पीड़ित परिवार ने इसे सुनियोजित हमला बताया है और इसे Musalman Attack on Dalits करार दिया है।
कैसे हुआ हमला: डीजे की टेस्टिंग से भड़की भीड़, 500 लोगों ने किया हमला
शादी समारोह के दौरान 15 मई 2025 को स्थानीय माताजी मंदिर के सामने रास-गरबा का आयोजन किया गया था। डीजे की टेस्टिंग चल रही थी तभी हफीजा माणसिया नाम की एक महिला ने अज़ान का हवाला देकर आपत्ति जताई। इसके बाद देखते ही देखते 400 से 500 लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। इस भीड़ में महिलाएँ और पुरुष दोनों शामिल थे।
Musalman Attack on Dalits के दौरान लोहे की पाइप, लाठियाँ और पत्थरों से हमला किया गया। इस हमले में 8 लोग घायल हुए, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी थे।
महिलाओं के साथ अभद्रता और लूटपाट: दलित समुदाय की इज्जत पर हमला
हमले के दौरान सिर्फ मारपीट ही नहीं हुई, बल्कि महिलाओं के साथ अश्लीलता, छेड़छाड़ और गहनों की लूट भी हुई। एफआईआर में दर्ज बयानों के अनुसार, एक महिला के साथ छेड़छाड़ की गई और दूसरी के कानों से झुमके जबरदस्ती खींच लिए गए। पीड़ितों का दावा है कि करीब 4 लाख रुपये के गहने लूटे गए।
मंदिर विवाद: डीजे सिर्फ बहाना, असली मुद्दा मंदिर निर्माण
पीड़ितों के अनुसार, यह Musalman Attack on Dalits दरअसल मंदिर निर्माण को लेकर मुस्लिम समुदाय की नाराज़गी का नतीजा है। 15 साल पहले अनुसूचित जाति समुदाय ने गाँव में माताजी मंदिर के निर्माण की पहल की थी, जिसका मुस्लिम समुदाय ने कड़ा विरोध किया था।
कोर्ट केस के बाद हाल ही में मंदिर निर्माण की अनुमति मिली थी और शादी समारोह इसी मंदिर के सामने हो रहा था। पीड़ितों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय को यह बात नागवार गुज़री और उन्होंने हमला कर अपनी नाराज़गी जताई।
पुरानी रंजिश भी बनी हमले का कारण
पीड़ितों ने बताया कि 2009 में भी इस गाँव में राजनीतिक हत्या हुई थी। शिवसेना के नेता रमेश प्रजापति की हत्या भी गाँव के ही कुछ मुस्लिम लोगों ने की थी। हमलावरों ने इस घटना का हवाला देते हुए दलित समुदाय को धमकी दी और कहा, “रमेश प्रजापति को मारने से भी नहीं सुधरे, अब तुम्हारे हाथ-पैर तोड़ेंगे।”
इस संदर्भ में यह Musalman Attack on Dalits केवल वर्तमान घटना न होकर, एक लंबे समय से चले आ रहे सामाजिक विभाजन और वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम है।
पुलिस कार्रवाई: SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज
वागडोद पुलिस स्टेशन की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए घटनास्थल पर पहुँचकर स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने हफीजा माणसिया समेत 14 नामजद लोगों और 400-500 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। इनमें गाँव के उपसरपंच आसिफ बादरपुरा सहित कई प्रमुख नाम शामिल हैं।
Musalman Attack on Dalits के मामले में SC/ST अत्याचार अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के अंतर्गत कड़ी कार्रवाई की जा रही है। पाटण जिले की एससी/एसटी सेल इस मामले की जाँच कर रही है।
शादी समारोह में डर का माहौल, पुलिस की निगरानी में पूरी हुई रस्में
हमले के बाद पीड़ित परिवार में भय का माहौल है। पुलिस ने रातभर परिवार को सुरक्षा प्रदान की और अगली सुबह पुलिस सुरक्षा में शादी की रस्में पूरी कराई गईं। एक महिला ने बताया, “हम शादी का जश्न मना रहे थे, लेकिन हम पर हमला हुआ, हमें अपमानित किया गया।”
सामाजिक प्रतिक्रिया: हिंदू संगठनों और दलित समुदाय में रोष
इस Musalman Attack on Dalits घटना को लेकर राज्यभर में हिंदू संगठनों और दलित समुदाय में भारी रोष है। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा वायरल हो चुका है और लोग न्याय की माँग कर रहे हैं।
दलित संगठनों ने आरोपितों पर सख्त कार्यवाही और निष्पक्ष न्याय की माँग की है। वहीं कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को सांप्रदायिक तनाव का खतरनाक संकेत बताया है और सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की माँग की है।
सामाजिक सौहार्द्र की परीक्षा, दोषियों पर कार्रवाई अनिवार्य
भीलवण गाँव की यह घटना केवल एक विवाह समारोह में बाधा डालने की बात नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे धार्मिक और जातीय संघर्ष एक छोटी सी बात से भड़क कर गंभीर रूप ले सकता है। यह घटना Musalman Attack on Dalits के तौर पर राष्ट्रीय चर्चा में आ गई है।
ऐसी घटनाएँ न केवल सामाजिक समरसता को चोट पहुँचाती हैं, बल्कि देश के संविधानिक मूल्यों पर भी प्रश्न खड़ा करती हैं। दोषियों पर सख्त कार्रवाई और पीड़ितों को सुरक्षा तथा न्याय देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।