हाइलाइट्स
- BrahMos Missile Export को लेकर भारत के पास आ रहे हैं कई मुस्लिम और एशियाई देशों से प्रस्ताव
- भारत ने हाल ही में पाकिस्तान पर ब्रह्मोस मिसाइल से किया था बड़ा सैन्य हमला
- फिलीपींस पहला देश बना जिसे भारत ने BrahMos Missile Export किया
- मिसाइल की सटीकता और रफ्तार ने दुनिया को किया हैरान
- रूस की अनुमति के बिना भारत नहीं कर सकता स्वतंत्र रूप से BrahMos Missile Export
BrahMos Missile Export: भारत की रक्षा शक्ति का नया आयाम
भारत और पाकिस्तान के हालिया सैन्य संघर्ष ने एक बार फिर दुनिया को भारत की सैन्य क्षमता का एहसास कराया है। इस संघर्ष में BrahMos Missile Export शब्द वैश्विक रणनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन चुका है। भारत द्वारा दागी गई 15 ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तान के 11 प्रमुख एयरबेस को तबाह कर दिया। इससे सिर्फ पाकिस्तान को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को इस सुपरसोनिक मिसाइल की ताकत का अनुमान हो गया।
ब्रह्मोस सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक की सटीकता, आत्मनिर्भरता और सैन्य सामर्थ्य का प्रतीक बन चुका है।
क्या है ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत?
दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
ब्रह्मोस मिसाइल की रफ्तार मच 2.8 से 3.0 तक होती है, यानी यह ध्वनि की गति से तीन गुना तेजी से उड़ सकती है। यह जमीन, हवा, जल और यहां तक कि पनडुब्बी से भी लॉन्च की जा सकती है।
अचूक निशाना
ब्रह्मोस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी ‘terminal accuracy’ है। यह अपने निर्धारित लक्ष्य के केवल 1 मीटर के भीतर जाकर हिट करती है, जो इसे युद्धक्षेत्र में घातक बनाता है।
बढ़ती वैश्विक मांग और BrahMos Missile Export की चर्चा
भारत के सफल परीक्षणों और सैन्य संघर्षों में ब्रह्मोस के उपयोग के बाद अब BrahMos Missile Export की मांग तेजी से बढ़ी है। फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे देशों के अलावा कई मुस्लिम देशों ने भी इस मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखाई है।
फिलीपींस बना पहला ग्राहक
वर्ष 2022 में भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का पहला अंतरराष्ट्रीय सौदा फिलीपींस के साथ किया। करीब 37.4 करोड़ डॉलर की इस डील के तहत हाल ही में 2025 में दूसरी खेप भी डिलीवर की गई।
कौन-कौन से देश दिखा रहे हैं रुचि?
निम्नलिखित देशों ने ब्रह्मोस खरीदने में रुचि दिखाई है:
- इंडोनेशिया
- वियतनाम
- थाईलैंड
- सिंगापुर
- ब्रुनेई
- ब्राजील
- अर्जेंटीना
- चिली
- वेनेजुएला
- मिस्र
- सऊदी अरब
- यूएई
- कतर
- ओमान
इन देशों में से कई मुस्लिम राष्ट्र हैं, जो पश्चिमी देशों पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहते हैं।
क्या भारत कर सकता है स्वतंत्र रूप से BrahMos Missile Export?
रूस की भूमिका अहम
ब्रह्मोस भारत और रूस का एक ज्वाइंट वेंचर है। दोनों देशों की इस परियोजना में 50-50% साझेदारी है। भारत में इसे ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए विकसित किया गया है।
इसलिए भारत यदि किसी अन्य देश को यह मिसाइल बेचना चाहता है, तो उसे BrahMos Missile Export के लिए रूस की पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है।
एमटीसीआर की भूमिका
भारत 2016 में मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का सदस्य बन गया था। इसके तहत भारत पर कुछ टेक्नोलॉजिकल एक्सपोर्ट कंट्रोल हटाए गए हैं, जिससे भारत अब 300 किमी से ज्यादा रेंज वाली मिसाइलों का निर्यात कर सकता है, बशर्ते रूस भी सहमत हो।
क्या मुस्लिम देश खरीद पाएंगे ब्रह्मोस?
कूटनीति और रणनीति का संतुलन
भारत की विदेश नीति ‘मल्टी-अलाइनमेंट’ की ओर बढ़ रही है, जहां वह एक साथ कई ब्लॉकों के साथ संतुलन बनाकर चलता है। ऐसे में BrahMos Missile Export को लेकर भारत काफी सतर्कता से काम कर रहा है।
मुस्लिम देशों को मिसाइल बेचना कई बार भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, खासकर तब जब इन देशों के संबंध पाकिस्तान के साथ मजबूत हों।
भारत की ब्रह्मोस रणनीति: डिप्लोमेसी के साथ डिफेंस
भारत अब सिर्फ एक रक्षा उत्पादक देश नहीं, बल्कि एक रणनीतिक एक्सपोर्टर के रूप में उभर रहा है। BrahMos Missile Export इस दिशा में पहला बड़ा कदम है।
भारत जिस प्रकार से रक्षा डिप्लोमेसी को आगे बढ़ा रहा है, वह यह दिखाता है कि अब भारत न सिर्फ अपनी सीमाएं सुरक्षित रखेगा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा समीकरणों में भी भूमिका निभाएगा।
ब्रह्मोस मिसाइल की सफलता ने भारत की रक्षा कूटनीति को एक नई दिशा दी है। BrahMos Missile Export अब सिर्फ एक व्यापारिक डील नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक पहचान बन चुकी है। आने वाले समय में भारत के रक्षा उत्पाद वैश्विक हथियार बाज़ार में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। साथ ही, भारत के लिए यह एक अवसर भी है कि वह “मेड इन इंडिया” को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित करे।