भारत अब ट्रंप की आंखों में क्यों खटकने लगा है? जानिए मोदी सरकार से नाराजगी के 4 बड़े कारण

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हाइलाइट्स

  • Donald Trump के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के साथ संबंधों में आई ठंडक
  • पाकिस्तान को IMF बेलआउट और कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के सुझाव से भारत असहज
  • व्यापार असंतुलन, टैरिफ विवाद और एप्पल प्रोडक्शन को लेकर ट्रंप की आलोचना
  • रूस और चीन को लेकर भारत की स्वतंत्र नीति से ट्रंप नाराज़
  • रक्षा सहयोग की कोशिशें राजनीतिक मतभेदों के बीच उलझीं

 ट्रंप का दूसरा कार्यकाल और भारत के लिए नई चुनौतियाँ

2024 में एक बार फिर राष्ट्रपति पद पर काबिज हुए Donald Trump ने वैश्विक कूटनीति में अमेरिका की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को पहले से ज्यादा आक्रामक रूप में लागू करना शुरू कर दिया है। ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में जो शुरुआती गर्माहट देखी गई थी, वह अब धीरे-धीरे ठंडक में बदलती जा रही है। भारत की स्वतंत्र विदेश नीति, पाकिस्तान को लेकर ट्रंप का नरम रुख, और व्यापारिक विवाद—ये सभी कारण आपसी संबंधों में दरार पैदा कर रहे हैं।

पाकिस्तान को लेकर ट्रंप की नीति और भारत की असहजता

Donald Trump ने हाल ही में पाकिस्तान को $2.4 बिलियन का IMF बेलआउट दिलाने में सहयोग किया। अमेरिका के इस कदम को भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी रणनीति के लिए झटका माना है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान का आर्थिक समर्थन केवल सीमा पार आतंकवाद को और बढ़ावा देगा।

इसके साथ ही ट्रंप ने फिर एक बार भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए “मध्यस्थता” की पेशकश की। भारत ने इस पेशकश को स्पष्ट रूप से ठुकरा दिया, लेकिन ट्रंप की यह कोशिश दोनों देशों के बीच कूटनीतिक असहजता का कारण बन गई।

 व्यापार असंतुलन: ट्रंप की टैरिफ युद्धनीति और भारत की प्रतिक्रिया

Donald Trump की नजर भारत के साथ व्यापार असंतुलन पर भी टिकी रही है। अमेरिका ने भारत से होने वाले आयात को असंतुलित बताते हुए भारतीय स्टील और एल्यूमिनियम पर भारी टैरिफ (25%) लगा दिए। जवाब में भारत ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की तैयारी की।

ट्रंप प्रशासन का दावा है कि भारत अमेरिकी कंपनियों को उचित बाजार पहुंच नहीं दे रहा। दूसरी ओर भारत का तर्क है कि उसके बाजार को अमेरिकी कंपनियों द्वारा शोषण की दृष्टि से देखा जा रहा है। Donald Trump का यह रुख दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नुकसान पहुँचा रहा है।

एप्पल प्रोडक्शन को रोकने की ट्रंप की अपील: भारत को झटका

हाल ही में Donald Trump ने एप्पल के सीईओ टिम कुक से आग्रह किया कि वह भारत में iPhone का उत्पादन बंद करें और अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाएं। ट्रंप का तर्क था कि अमेरिकी नौकरियों को भारत जैसे देशों में स्थानांतरित करना ‘देशद्रोह’ के बराबर है।

यह बयान भारत के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि भारत ‘मेक इन इंडिया’ के तहत एप्पल और अन्य विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रहा था। Donald Trump का यह बयान विदेशी निवेशकों के बीच अनिश्चितता और संदेह पैदा करने वाला है।

रूस और चीन पर भारत की स्वतंत्र नीति: ट्रंप का असंतोष

Donald Trump प्रशासन चाहता है कि भारत चीन और रूस के खिलाफ अमेरिका का खुला समर्थन करे। लेकिन भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ रुख अपनाया और चीन के साथ भी व्यापारिक संबंध बनाए रखे। ट्रंप इससे स्पष्ट रूप से नाखुश हैं।

Donald Trump का मानना है कि जो देश अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है, उसे अमेरिका के दुश्मनों के साथ संबंध नहीं रखने चाहिए। भारत के लिए यह नीति अव्यवहारिक है क्योंकि वह रूस से हथियार, ऊर्जा और कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना चाहता है। इस टकराव के कारण दोनों देशों के बीच विश्वास का संकट उत्पन्न हो रहा है।

रक्षा सहयोग: प्रयास जारी, लेकिन सहयोग अधूरा

ट्रंप प्रशासन ने भारत को F-35 फाइटर जेट्स बेचने की पेशकश की, और दोनों देशों ने साझा सैन्य अभ्यासों को और बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। लेकिन राजनीतिक और व्यापारिक मतभेदों के चलते यह रक्षा सहयोग भी अधर में लटका हुआ है।

Donald Trump के दोबारा सत्ता में आने से पहले रक्षा और तकनीकी सहयोग में जो गति आई थी, वह अब धीमी होती दिखाई दे रही है। भारत की रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद को लेकर भी ट्रंप प्रशासन ने अप्रसन्नता जताई है।

रणनीतिक साझेदारी या व्यावसायिक सौदा?

Donald Trump भारत के साथ रिश्तों को अक्सर एक कारोबारी सौदे के रूप में देखते हैं, जिसमें व्यापार लाभ और रणनीतिक नियंत्रण का तत्व प्राथमिक होता है। जबकि भारत रिश्तों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ की दृष्टि से देखता है, जिसमें आपसी सम्मान और स्वतंत्र विदेश नीति की जगह हो।

इस विचारधारा में विरोधाभास ही आज दोनों देशों के संबंधों में तनाव का मूल कारण बन गया है। Donald Trump की ‘डील मेकिंग’ मानसिकता भारत की ‘गैर-गठबंधन’ नीति से मेल नहीं खाती।

आगे की राह

Donald Trump के दूसरे कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर कई चुनौतियाँ सामने आई हैं। पाकिस्तान को लेकर ट्रंप की नीति, व्यापारिक टकराव, और भारत की स्वतंत्र विदेश नीति इन संबंधों में लगातार तनाव पैदा कर रही हैं। हालांकि रक्षा सहयोग और आपदा प्रतिक्रिया जैसे क्षेत्रों में अभी भी साझेदारी की संभावनाएं हैं, लेकिन इन मतभेदों को सुलझाए बिना दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक विश्वास बनाना मुश्किल होगा।

भारत और अमेरिका को एक-दूसरे की रणनीतिक प्राथमिकताओं और आंतरिक राजनीतिक दृष्टिकोण को समझकर अपने रिश्तों को फिर से परिभाषित करना होगा, ताकि भविष्य में यह साझेदारी स्थिर और फलदायी बन सके।

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