नई दिल्ली, 8 जुलाई, 2024: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 3-5 जुलाई, 2024 को हुई थी। इस बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था। हालांकि, अर्थव्यवस्था और मुद्रास्फीति की स्थिति को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या RBI भविष्य में रेपो रेट को फिर से बढ़ा सकता है?
रेपो रेट बढ़ने की संभावना:
- मुद्रास्फीति: मुद्रास्फीति अभी भी RBI के लक्ष्य 4% से ऊपर है। जून 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2% थी। RBI का लक्ष्य है कि मार्च 2025 तक मुद्रास्फीति को 4% तक लाया जाए। रेपो रेट बढ़ाने से महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
- वैश्विक अनिश्चितता: वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है। यूक्रेन में युद्ध, बढ़ती ऊर्जा की कीमतें और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। RBI रेपो रेट बढ़ाकर घरेलू अर्थव्यवस्था को इन बाहरी झटकों से बचाने की कोशिश कर सकता है।
- आर्थिक विकास: भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अच्छी बनी हुई है। RBI का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 में अर्थव्यवस्था 7.2% की दर से बढ़ेगी। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितता के कारण अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर धीमी हो सकती है। RBI रेपो रेट को स्थिर रखकर अर्थव्यवस्था को समर्थन देना चाह सकता है।
यह कहना मुश्किल है कि RBI भविष्य में रेपो रेट को फिर से बढ़ाएगा या नहीं। यह अर्थव्यवस्था और मुद्रास्फीति की स्थिति पर निर्भर करेगा। यदि मुद्रास्फीति बढ़ती रहती है या वैश्विक अनिश्चितता बढ़ती है, तो RBI रेपो रेट को बढ़ा सकता है। हालांकि, यदि अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर धीमी होती है, तो RBI रेपो रेट को स्थिर रख सकता है।
यह समाचार लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
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