नई दिल्ली: हाल ही में पूर्व IAS अधिकारी और अभिनेता अभिषेक सिंह ने आरक्षण को लेकर एक बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील बयान दिया है। अभिषेक सिंह का कहना है कि जिस दिन समाज में सवर्ण और दलितों के बीच सामाजिक विभाजन और भेदभाव समाप्त हो जाएगा, उसी दिन आरक्षण की आवश्यकता भी समाप्त हो जाएगी। उनका यह बयान एक नई सोच और सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अभिषेक सिंह ने कहा, "जिस दिन समाज एक दलित और पिछड़े को हीन दृष्टि से देखना बंद कर देगा, उस दिन आरक्षण ख़त्म कर देना चाहिए। जिस दिन एक सवर्ण परिवार ख़ुशी-ख़ुशी गर्व से अपनी बेटी-बेटों की शादी एक दलित परिवार में करना शुरू कर देगा, उस दिन रिज़र्वेशन बंद कर देना चाहिए।" उनका यह बयान भारतीय समाज की एक गहरी सच्चाई को उजागर करता है, जहां जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता अभी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
आरक्षण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को समान अवसर प्रदान करना है। यह व्यवस्था अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रदान करती है। आरक्षण का मूल उद्देश्य था कि समाज के इन पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाया जाए और उन्हें समान अवसर प्रदान किया जाए।
अभिषेक सिंह का यह बयान समाज में गहरे व्याप्त जातिगत भेदभाव और असमानता की ओर इशारा करता है। उनका मानना है कि जब तक समाज में जातिगत भेदभाव समाप्त नहीं होता, तब तक आरक्षण की आवश्यकता बनी रहेगी। उनका यह दृष्टिकोण सामाजिक सुधार और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश है।
अभिषेक सिंह का यह बयान न केवल एक सामाजिक सुधार की दिशा में उठाया गया कदम है, बल्कि यह एक चुनौती भी है समाज के उन हिस्सों के लिए जो अभी भी जातिगत भेदभाव में विश्वास रखते हैं। उनका कहना है कि जब समाज में सवर्ण और दलितों के बीच विवाह संबंध बिना किसी भेदभाव और हीन भावना के स्वीकार्य हो जाएगा, तभी आरक्षण की आवश्यकता समाप्त होगी। यह एक आदर्श स्थिति होगी, जहां समाज में सभी जातियों को समान सम्मान और अधिकार मिलेगा।
अभिषेक सिंह के इस बयान पर समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोग उनके इस दृष्टिकोण से सहमत हैं और मानते हैं कि आरक्षण तब तक आवश्यक है जब तक समाज में जातिगत भेदभाव समाप्त नहीं हो जाता। वहीं, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि आरक्षण ने समाज में एक नई प्रकार की असमानता और भेदभाव को जन्म दिया है, और इसे समाप्त करना आवश्यक है।
पूर्व IAS और अभिनेता अभिषेक सिंह का आरक्षण को लेकर यह बयान कितना बढ़िया है। अभिषेक सिंह कहते हैं कि
— Jaiky Yadav (@JaikyYadav16) July 9, 2024
"जिस दिन समाज एक दलित और पिछड़े को हीन दृष्टि से देखना बंद कर दे उस दिन रिज़र्वेशन ख़त्म कर देना ।
जिस दिन एक सवर्ण परिवार ख़ुशी ख़ुशी गर्व से अपनी बेटी-बेटों की शादी एक दलित… pic.twitter.com/JcSAYHcTfz
अभिषेक सिंह का उद्देश्य
अभिषेक सिंह का उद्देश्य स्पष्ट है - वह समाज में समानता और न्याय की स्थापना चाहते हैं। उनका मानना है कि जब तक समाज में सभी जातियों के लोगों को समान सम्मान और अधिकार नहीं मिलता, तब तक आरक्षण की आवश्यकता बनी रहेगी। उनका यह दृष्टिकोण एक सकारात्मक सोच और सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अभिषेक सिंह का यह बयान समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम वास्तव में एक समान और न्यायसंगत समाज की दिशा में बढ़ रहे हैं? जब तक समाज में जातिगत भेदभाव और असमानता बनी रहती है, तब तक आरक्षण की आवश्यकता भी बनी रहेगी। अभिषेक सिंह का यह दृष्टिकोण हमें सामाजिक सुधार और समानता की दिशा में एक नई सोच और दिशा देता है।
क्या आप अभिषेक सिंह जी की बात से सहमत हैं?
यह एक व्यक्तिगत विचारधारा का प्रश्न है। कुछ लोग इस बात से सहमत हो सकते हैं कि आरक्षण तब तक आवश्यक है जब तक समाज में जातिगत भेदभाव समाप्त नहीं हो जाता, जबकि कुछ लोग आरक्षण को समाप्त करने के पक्ष में हो सकते हैं। यह विचारधारा और व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित होता है। लेकिन एक बात निश्चित है कि अभिषेक सिंह का यह बयान समाज में समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश है।