मास्को, 1971: भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 9 सितंबर, 1971 को सोवियत संघ की 10 दिवसीय यात्रा पर पहुंचीं। यह यात्रा भारत-सोवियत संबंधों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, और इसे व्यापक रूप से एक ऐतिहासिक सफलता के रूप में देखा गया था।
और जब इंदिरा जी रूस गई थी तब वहाँ के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री विदेश मंत्री और शासक पार्टी के अध्यक्ष उन्हें विमान पर लेने आये थे नरेंद्र मोदी जी।
गांधी का स्वागत सोवियत नेताओं द्वारा भव्य तरीके से किया गया, जिसमें सोवियत प्रधान मंत्री एलेक्सी कोश्यगिन और सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव लियोनिद ब्रेझनेव शामिल थे। उन्हें मास्को की सड़कों पर भारी भीड़ द्वारा स्वागत किया गया, जिन्होंने भारत-सोवियत दोस्ती के नारे लगाए।
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जनता में कितना उत्साह था ये भी देख लीजिये pic.twitter.com/YWScCk2P1r
गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान कोश्यगिन और ब्रेझनेव के साथ कई बैठकें कीं, जिसमें दोनों देशों के बीच संबंधों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की गई। इन बैठकों में भारत-पाकिस्तान युद्ध, जो उस समय चल रहा था, पर भी चर्चा हुई। सोवियत संघ ने भारत को युद्ध में अपना समर्थन दिया, और यह गांधी की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए 1971 के भारत-सोवियत मैत्री, शांति और सहयोग संधि का एक प्रमुख कारक था।
इस संधि को भारत-सोवियत संबंधों में एक मील का पत्थर माना जाता है। इसने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया। संधि ने भारत को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में निर्णायक जीत हासिल करने में मदद की, और इसने बांग्लादेश के नए राष्ट्र के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गांधी की 1971 की सोवियत संघ की यात्रा भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने भारत-सोवियत संबंधों को एक नए स्तर पर ले लिया और भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करने में मदद की।
इस यात्रा के कुछ महत्वपूर्ण परिणाम निम्नलिखित हैं:
- 1971 के भारत-सोवियत मैत्री, शांति और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य सहयोग का मार्ग प्रशस्त किया।
- सोवियत संघ ने भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत को अपना समर्थन दिया, जिसने भारत को निर्णायक जीत हासिल करने में मदद की।
- बांग्लादेश के नए राष्ट्र के निर्माण में सोवियत संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत हुई।
इंदिरा गांधी की 1971 की सोवियत संघ की यात्रा भारत-रूस संबंधों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। यह एक ऐतिहासिक यात्रा थी जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को बदल दिया और भारत के अंतरराष्ट्रीय प्रोफ़ाइल को बढ़ाने में मदद की।