गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा 47 दिनों तक पृथ्वी पर भटकती रहती है। इन 47 दिनों में आत्मा को यमलोक जाने की तैयारी करनी होती है।
पहले 13 दिन:
- मृत्यु के बाद पहले 13 दिन आत्मा अपने घर-परिवार के आसपास ही रहती है।
- इस दौरान वह अपने परिवार के लोगों को रोते-बिलखते देखती है और अंतिम संस्कार की क्रियाओं को भी देखती है।
- यह माना जाता है कि इस दौरान आत्मा को शांति नहीं मिल पाती है, और वह भटकती रहती है।
13वें से 32वें दिन:
- 13वें दिन के बाद आत्मा यमलोक की ओर प्रस्थान करती है।
- इस यात्रा में उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- रास्ते में उसे वैतरणी नदी पार करनी होती है, जो पापियों के लिए बहुत ही कठिन होती है।
- इसके बाद उसे यमदूतों का सामना करना पड़ता है, जो उसे यमराज के दरबार में ले जाते हैं।
33वें से 47वें दिन:
- यमराज के दरबार में आत्मा के कर्मों का हिसाब होता है।
- यमराज धर्मराज हैं और वे कर्मों के आधार पर आत्मा को स्वर्ग, नर्क या अन्य किसी लोक में भेजते हैं।
- यदि मृतक व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए हैं, तो उसे स्वर्ग भेजा जाता है।
- वहीं, यदि उसने बुरे कर्म किए हैं, तो उसे नर्क भेजा जाता है।
- कुछ मामलों में, आत्मा को पुनर्जन्म भी दिया जाता है।
47वें दिन:
- 47वें दिन आत्मा को यमराज द्वारा दिए गए स्थान पर जाना होता है।
- इसके बाद आत्मा का मृत्यु के बाद का जीवन शुरू हो जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह गरुड़ पुराण में बताई गई मान्यता है।
विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है, इस बारे में अलग-अलग मान्यताएं हैं।
यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मृत्यु के बाद आत्मा के अस्तित्व का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
यह पूरी तरह से आस्था का विषय है।
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