भारतीय मेनस्ट्रीम मीडिया में 90 फीसदी से भी ज्यादा सवर्ण क्यों हैं, जाने हैरान कर देने वाला सच

भारतीय मेनस्ट्रीम मीडिया में सवर्णों का एकछत्र राज क्यों चलता है, यह सवाल लंबे समय से उठाया जा रहा है। इस मुद्दे का एक दिलचस्प और चिंताजनक उदाहरण भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) से सामने आया है, जो देश का सबसे प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान माना जाता है। 

IIMC के प्रोफ़ेसर राकेश उपाध्याय और छात्रा सुधा यादव की घटना ने इस मुद्दे को और अधिक स्पष्ट कर दिया है। सुधा यादव, जो IIMC की एक मेहनती और समर्पित छात्रा हैं, प्लेसमेंट सेल के हेड प्रोफ़ेसर राकेश उपाध्याय द्वारा खुलेआम अपमानित की गईं।

यह घटना तब हुई जब The Lallantop की रिक्रूटर्स टीम IIMC में प्लेसमेंट प्रक्रिया के लिए आई हुई थी। सुधा यादव भी इस प्रक्रिया में भाग ले रही थीं, जब अचानक प्रोफ़ेसर राकेश उपाध्याय वहां पहुंचे और उन्होंने सुधा को टेस्ट में भाग लेने से रोकते हुए कहा, "तुम टेस्ट में क्यों बैठी हो! तुमने संस्थान की गरिमा को धूमिल किया है। ट्विटर पर संस्थान को बदनाम करने के बाद तुम्हारी टेस्ट देने की हिम्मत कैसे हुई!"

 

राकेश उपाध्याय यहीं नहीं रुके। उन्होंने यहां तक कह डाला कि "देखता हूँ कौन तुम्हें नौकरी देता है? तुम्हारा कैरियर बर्बाद कर दूँगा।" सुधा यादव इस अपमानजनक व्यवहार के सामने कुछ भी नहीं कर सकीं और वहां बैठकर रोने लगीं।

सुधा यादव ने इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ उठाई और संस्थान से न्याय की मांग की। हालांकि, उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया गया था, मगर अब तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि भारतीय मेनस्ट्रीम मीडिया में सवर्णों का वर्चस्व कैसे कायम है। सुधा यादव की यह कहानी एक उदाहरण है, जो यह दर्शाती है कि कैसे संस्थानों में जातिगत भेदभाव और पक्षपात का सामना करना पड़ता है।

 

IIMC जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से पढ़कर निकले बड़े-बड़े पत्रकार और मीडिया के बड़े नाम इसी जातिगत पक्षपात के कारण आगे बढ़ते हैं। यह स्थिति मीडिया में सवर्णों के वर्चस्व का एक बड़ा कारण है। 

सुधा यादव द्वारा लगाए गए ये आरोप इस बात की ओर इशारा करते हैं कि संस्थान के भीतर जातिगत भेदभाव कितना गहरा है। एक छात्रा को उसकी जाति के आधार पर अपमानित किया जाना न केवल अनुचित है, बल्कि यह समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है।

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय मेनस्ट्रीम मीडिया में सवर्णों का वर्चस्व किसी न किसी रूप में कायम है और इसे तोड़ना बहुत जरूरी है। इस तरह के भेदभाव और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की आवश्यकता है ताकि मीडिया में सवर्णों का एकछत्र राज समाप्त हो सके और सभी को समान अवसर मिल सके।

सुधा यादव की यह कहानी केवल एक उदाहरण है, लेकिन यह एक बड़ा सवाल उठाती है कि आखिरकार हमारे समाज और संस्थानों में कब तक जातिगत भेदभाव जारी रहेगा। हमें इस पर गंभीरता से विचार करना होगा और इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना होगा ताकि हमारा समाज और मीडिया दोनों ही जातिगत भेदभाव से मुक्त हो सकें।

Rangin Duniya

ranginduniya.com is a Professional Lifestyle, Health, News Etc Platform. Here we will provide you only interesting content, which you will like very much. We're dedicated to providing you the best of Lifestyle, Health, News Etc, with a focus on dependability and Lifestyle. We're working to turn our passion for Lifestyle, Health, News Etc into a booming online website. We hope you enjoy our Lifestyle, Health, News Etc as much as we enjoy offering them to you.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने

INNER POST ADS

Follow Us