पित्ताशय और किडनी की पथरी से छुटकारा: जानें 2 आयुर्वेदिक उपचार जो देंगे स्थायी राहत

पित्ताशय और किडनी की पथरी से छुटकारा: जानें 2 आयुर्वेदिक उपचार जो देंगे स्थायी राहत

भारत में पथरी की समस्या तेजी से बढ़ रही है, खासकर किडनी और पित्ताशय में। यह समस्या न केवल असहनीय दर्द का कारण बनती है, बल्कि इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं यदि समय पर इलाज न किया जाए। आधुनिक चिकित्सा में पथरी के इलाज के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार भी इस समस्या से निपटने के लिए प्रभावी साबित हो सकते हैं। यहाँ हम दो प्रमुख आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में बात करेंगे जो पित्ताशय और किडनी की पथरी से स्थायी राहत दिला सकते हैं।

 1. पुनर्नवा और गोक्षुर का सेवन

पुनर्नवा और गोक्षुर आयुर्वेद में दो प्रमुख जड़ी-बूटियाँ मानी जाती हैं, जो किडनी और पित्ताशय की पथरी के इलाज में अत्यधिक प्रभावी हैं। 

पुनर्नवा:

 यह जड़ी-बूटी मूत्रवर्धक (diuretic) गुणों से भरपूर है, जो शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। पुनर्नवा किडनी की कार्यक्षमता को सुधारती है और पथरी के निर्माण को रोकती है। इसे पाउडर, कैप्सूल या काढ़े के रूप में लिया जा सकता है।

गोक्षुर: 

गोक्षुर का उपयोग किडनी की पथरी के इलाज में प्राचीन काल से होता आ रहा है। यह मूत्र मार्ग को साफ करता है और पथरी के कणों को तोड़कर उन्हें पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करता है। गोक्षुर को पाउडर या काढ़े के रूप में लिया जा सकता है। नियमित सेवन से पथरी के निर्माण की संभावना कम हो जाती है और पहले से मौजूद पथरी भी धीरे-धीरे घटने लगती है।

2. वरुण और कुल्थी का उपयोग

वरुण और कुल्थी भी आयुर्वेद में महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियाँ हैं, जो पित्ताशय और किडनी की पथरी के इलाज में कारगर मानी जाती हैं।

वरुण: 

वरुण का वृक्ष पथरी के इलाज में बहुत उपयोगी है। इसकी छाल और पत्तियों में ऐसे तत्व होते हैं जो पित्ताशय और किडनी की पथरी को तोड़ने और उसे बाहर निकालने में मदद करते हैं। वरुण की छाल का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से पीने से पथरी के लक्षणों में राहत मिलती है और धीरे-धीरे पथरी का आकार छोटा होता है।

कुल्थी:

 कुल्थी (घोड़े की दाल) का सेवन भी पथरी के इलाज में उपयोगी माना जाता है। कुल्थी की दाल में ऐसे तत्व होते हैं जो पथरी को घोलने और पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में सहायक होते हैं। कुल्थी की दाल को उबालकर उसका पानी पीने से पथरी के दर्द में राहत मिलती है और पथरी का आकार भी घटने लगता है।

आयुर्वेदिक उपचारों का लाभ यह है कि वे प्राकृतिक होते हैं और उनके साइड इफेक्ट्स भी बहुत कम होते हैं। पुनर्नवा, गोक्षुर, वरुण और कुल्थी जैसे जड़ी-बूटियों का नियमित सेवन न केवल पथरी को खत्म करने में मदद करता है, बल्कि भविष्य में पथरी बनने की संभावना को भी कम करता है। 

हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि इन उपचारों को शुरू करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। सही मात्रा और सही तरीके से इनका उपयोग ही आपको स्थायी राहत दिला सकता है। आयुर्वेदिक उपचारों के साथ-साथ संतुलित आहार, पर्याप्त पानी का सेवन और नियमित व्यायाम भी पथरी की समस्या से बचाव में मददगार हो सकते हैं। 

इस प्रकार, आयुर्वेदिक उपचार न केवल पथरी को जड़ से खत्म करने में प्रभावी हैं, बल्कि ये हमारी जीवनशैली को भी स्वस्थ और संतुलित बनाते हैं। यदि आप भी पथरी की समस्या से परेशान हैं, तो इन आयुर्वेदिक उपचारों को अपनाकर स्थायी राहत पा सकते हैं।

Rangin Duniya

ranginduniya.com is a Professional Lifestyle, Health, News Etc Platform. Here we will provide you only interesting content, which you will like very much. We're dedicated to providing you the best of Lifestyle, Health, News Etc, with a focus on dependability and Lifestyle. We're working to turn our passion for Lifestyle, Health, News Etc into a booming online website. We hope you enjoy our Lifestyle, Health, News Etc as much as we enjoy offering them to you.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने

INNER POST ADS

Follow Us