जनरल बोगी में छिपा ‘खामोश खजाना’, खुला तो उड़ गए होश—53 लाख नकद बरामद!

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हाइलाइट्स

  • ट्रेन की जनरल बोगी से बरामद हुई भारी-भरकम नकदी, कुल रकम 53 लाख 96 हजार 500 रुपये
  • बलिया रेलवे स्टेशन पर स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस की बोगी में चेकिंग के दौरान पकड़ा गया शख्स
  • जी.आर.पी. ने पूछताछ में बताया: दिल्ली से बिहार के मधुबनी जा रहा था यात्री
  • इतनी बड़ी नकदी को लेकर व्यक्ति कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा पाया
  • मामले की जानकारी इनकम टैक्स विभाग और स्थानीय प्रशासन को दी गई

ट्रेन की जनरल बोगी से नकदी बरामदगी ने मचाया हड़कंप

बलिया रेलवे स्टेशन पर स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के जनरल कोच से 53 लाख 96 हजार 500 रुपये की नकदी बरामद कर जी.आर.पी. ने सनसनी फैला दी है। ट्रेन की जनरल बोगी से इतनी बड़ी रकम मिलने की सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। प्राथमिक जांच में सामने आया कि यह रकम एक बैग में रखी गई थी, जिसे एक यात्री अपने पास रखे हुए था और वह दिल्ली से बिहार के मधुबनी जा रहा था।

जी.आर.पी. की सक्रियता से मिली सफलता

बलिया जी.आर.पी. की टीम इन दिनों रेलवे स्टेशन पर लगातार चेकिंग अभियान चला रही है। सोमवार सुबह लगभग 9:30 बजे स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे में तलाशी के दौरान एक व्यक्ति संदिग्ध अवस्था में पाया गया। जब उसकी तलाशी ली गई तो उसके बैग से गड्डियों में बंधे हुए नोट बरामद हुए। रकम गिनने पर वह कुल 53 लाख 96 हजार 500 रुपये निकली।

यात्री की पहचान और उसका बयान

पकड़े गए व्यक्ति की पहचान 42 वर्षीय संजय कुमार के रूप में हुई है, जो बिहार के मधुबनी जिले का रहने वाला है। पूछताछ में संजय कुमार ने बताया कि वह दिल्ली के करोल बाग इलाके में एक निजी कंपनी में कैशियर के रूप में काम करता है और यह रकम वह “कंपनी के मालिक” के निर्देश पर मधुबनी पहुंचा रहा था। हालांकि, वह ट्रेन की जनरल बोगी से इतनी बड़ी रकम लेकर क्यों जा रहा था, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सका।

नकदी का कोई वैध दस्तावेज नहीं

जी.आर.पी. की पूछताछ में जब संजय से नकदी संबंधित दस्तावेज मांगे गए तो वह कोई भी वैध पेपर प्रस्तुत नहीं कर सका। उसके पास से केवल एक डायरी मिली, जिसमें कुछ नाम और मोबाइल नंबर दर्ज थे। लेकिन नकदी का स्रोत, प्रयोजन और मालिकाना हक साबित करने वाला कोई भी साक्ष्य नहीं मिल सका। चूंकि बरामद रकम 10 लाख रुपये से अधिक है, इसलिए मामला आयकर विभाग को भी सौंप दिया गया है।

ट्रेन की जनरल बोगी से नकदी मिलने की जांच में जुटी एजेंसियां

काले धन का शक

जांच एजेंसियों को शक है कि यह मामला हवाला या चुनावी फंडिंग से जुड़ा हो सकता है। क्योंकि जिस तरीके से नकदी को जनरल कोच में ले जाया जा रहा था, वह पूरी तरह से संदिग्ध है। आयकर विभाग अब इस रकम के स्रोत की गहराई से जांच करेगा। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि क्या इसका संबंध किसी राजनीतिक दल, कारोबारी या किसी अपराधी संगठन से है।

सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे

रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को खंगालने का काम शुरू कर दिया गया है ताकि यह पता चल सके कि संजय कुमार अकेला आया था या उसके साथ कोई अन्य व्यक्ति भी था। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि वह स्टेशन पर कितनी देर रुका और किससे संपर्क में था।

ट्रेन की जनरल बोगी से नकदी ले जाने पर बढ़े सवाल

इस घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर नकदी ट्रेन की जनरल बोगी से क्यों ले जाई जा रही थी। आम तौर पर इतने पैसों की ट्रांसपोर्टिंग के लिए लॉजिस्टिक कंपनी, बैंक ट्रांसफर या सुरक्षा एजेंसियों का सहारा लिया जाता है। ऐसे में यह तरीका कानून और सुरक्षा व्यवस्था दोनों के लिए खतरे की घंटी है।

जी.आर.पी. और आर.पी.एफ. की तगड़ी जांच

बलिया जी.आर.पी. ने आर.पी.एफ. के साथ मिलकर स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस की अन्य बोगियों में भी तलाशी अभियान चलाया, लेकिन और किसी तरह की संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। फिलहाल पकड़े गए यात्री को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है।

राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

स्थानीय प्रशासन सतर्क

बलिया जिलाधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह आयकर विभाग के साथ मिलकर इस केस की तह तक जाएं। उन्होंने कहा कि ट्रेन की जनरल बोगी से नकदी ले जाना न केवल अवैध है बल्कि सुरक्षा में भी बड़ी चूक को दर्शाता है।

जनता में फैली चर्चा

स्थानीय लोगों और यात्रियों के बीच यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोगों ने इसे चुनावी नगदी से जोड़कर देखा तो कुछ ने हवाला रैकेट का हिस्सा बताया। यात्रियों का कहना है कि अगर सुरक्षा एजेंसियां सच में मुस्तैद हैं, तो ऐसी संदिग्ध गतिविधियों को और भी रोका जा सकता है।

ट्रेन की जनरल बोगी से नकदी की बरामदगी ने यह साबित कर दिया है कि रेलवे का जनरल कोच अब केवल आम यात्रियों की नहीं, बल्कि अवैध गतिविधियों का भी रास्ता बनता जा रहा है। समय रहते अगर ऐसे मामलों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में इससे और बड़ी घटनाएं सामने आ सकती हैं। जी.आर.पी. की सक्रियता निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन यह भी जरूरी है कि रेलवे सुरक्षा बल और जांच एजेंसियां मिलकर इस तरह की हर हरकत को जड़ से समाप्त करें।

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