लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश: शारदानगर थाने के अंतर्गत आने वाले एक गांव में दो महीने पहले एक महिला के साथ हुए गैंगरेप के मामले में अब तक आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। पीड़िता ने घटना के तुरंत बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और कोर्ट में अपने बयान भी दे दिए थे। लेकिन, दो महीने बीत जाने के बावजूद पुलिस ने अभी तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है।
पीड़िता का आरोप: आरोपी दे रहे धमकियां
पीड़िता ने आरोप लगाया है कि आरोपी लगातार उसे धमका रहे हैं। उनका कहना है कि "हमारा एक रिश्तेदार दरोगा है और हमने पुलिस को दो लाख रुपये दे दिए हैं। हमारा कुछ नहीं होगा।" इस तरह की धमकियों से पीड़िता और उसका परिवार लगातार डर और असुरक्षा में जीने को मजबूर हैं।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
शारदानगर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। पीड़िता के अनुसार, उसने घटना के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज कराई थी और कोर्ट में बयान भी दे दिए थे। लेकिन पुलिस की ओर से अब तक आरोपियों को गिरफ्तार न किया जाना न्याय प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
परिवार की गुहार
पीड़िता के परिवार ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस और आरोपियों के बीच मिलीभगत हो सकती है, जिससे न्याय में देरी हो रही है।
यूपी के लखीमपुर खीरी में एक महिला से दो महीने पहले गैंगरेप होता है, शारदानगर थाने में FIR लिखी जाती है, पीड़िता के कोर्ट में बयान भी दर्ज हो जाते हैं, दो महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया ,पीड़िता का आरोप है कि आरोपी यह कहकर उसे धमकाते हैं कि… pic.twitter.com/uDgg35goKT
— Mrityunjay (@Mrityun30828138) December 3, 2024
प्रशासन की चुप्पी
जब इस मामले पर संबंधित पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मामले की जांच जारी है और जल्द ही आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी।
न्याय की मांग
यह घटना एक बार फिर से कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है। पीड़िता और उसका परिवार न्याय की गुहार लगा रहे हैं। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन कब तक आरोपियों पर कार्रवाई करते हैं और पीड़िता को न्याय दिलाने में सक्षम होते हैं।
(यह समाचार रिपोर्ट घटना के आधार पर तैयार की गई है और इसमें प्रशासन का पक्ष शामिल करने का प्रयास किया गया है।)