चित्रकूट, 30 नवंबर 2024: चित्रकूट जनपद के एक परिवार के सदस्य, जो पिछले छह वर्षों से न्याय की उम्मीद लगाए हुए हैं, अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए परेशान हैं। यह परिवार अपनी भयानक स्थिति को मुख्यमंत्री तक पहुँचाना चाहता है, क्योंकि उन्हें जिला प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं बची है।
रीता तिवारी और उनके परिवार के सदस्य, जिनमें उनकी दो संतानें, अनामिका तिवारी (17) और हर्षवर्धन तिवारी (19) शामिल हैं, पिछले तीन से चार सालों से लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें हर बार मिलने से मना कर दिया जाता है। कई बार ऑनलाइन शिकायतें भी की गईं, लेकिन किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई।
कल चित्रकूट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक दिवसीय दौरा था और रामघाट में उनकी जनसभा हो रही थी। रीता तिवारी अपनी परिवार की समस्या लेकर वहाँ पहुंचीं, लेकिन पुलिस प्रशासन ने उन्हें जनसभा में जाने से रोक दिया।
रीता तिवारी का कहना है कि उनके परिवार का मामला केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही हल कर सकते हैं, क्योंकि वे बार-बार बाँदा जिले के अधिकारियों और पुलिस का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका। रीता ने बताया कि 2019 में उनके ससुर अवधेश तिवारी और देवर कृष्ण कुमार तिवारी ने जमीन-जायदाद की लालच में उनके पति की एक्सीडेंट कराकर हत्या कर दी थी। इसके बाद, उन्हें और उनके बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया गया और पूरे परिवार की संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया। यहाँ तक कि उनके हिस्से की जमीन को भी बेच दिया गया।
रीता तिवारी का कहना है कि उनके मामले की सुनवाई इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी जमीन के पैसों से लुभाए गए हैं और उन्हें चाय-नाश्ता करवा दिया जाता है, जिससे कोई कार्रवाई नहीं होती।
आजकल, रीता तिवारी अपने बच्चों के साथ चित्रकूट में किराए के मकान में रह रही हैं और जीवन यापन कर रही हैं। यह किसी भी महिला के लिए कठिन संघर्ष से कम नहीं है, खासकर तब जब वह घर की संपत्ति से बेदखल हो गई हो और उसके बच्चों की पढ़ाई और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना एक बड़ी चुनौती हो।
यह पूरा मामला बाँदा जनपद के अतर्रा तहसील क्षेत्र के ग्राम लोधौरा का है, जहाँ रीता तिवारी की शादी हुई थी। उनके पति के निधन के बाद उन्हें जमीन और संपत्ति से बाहर किया गया, और उनका जीवन अब एक संघर्ष बन गया है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या राज्य सरकार और प्रशासन इस महिला और उसके बच्चों के लिए न्याय सुनिश्चित करेंगे, या यह मामला अनसुलझा ही रहेगा।