हाल ही में सोशल मीडिया पर एक विवादित पोस्ट ने जोर पकड़ लिया है, जिसमें भूमिहार सागर नामक व्यक्ति ने नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है। भूमिहार सागर ने "X" (पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर एक पोस्ट करते हुए कहा, "इसका मुँह काला करने वाले व्यक्ति को 10 हजार रुपया मैं अकेले दूंगा, यही औकात है इसकी! बाकी जरूरत पड़ी तो चंदा इकट्ठा करवा दूंगा। आजकल इसकी कुछ अधिक आवाज निकल रही हिंदुत्व के खिलाफ़।"
गौरतलब है कि सांसद चंद्रशेखर आजाद ने हिंदुत्व के खिलाफ ऐसा कोई बयान सार्वजनिक रूप से नहीं दिया है, लेकिन फिर भी उनकी आवाज को लेकर यह आरोप लगाया गया है। भूमिहार सागर की इस पोस्ट ने न केवल सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना, बल्कि कई लोगों ने इसे सांसद के प्रति अभद्र और अस्वीकार्य माना है।
इसका मुँह काला करने वाले व्यकि को 10 हजार रुपया मैं अकेले दूंगा यही औकात है इसकी !
— Bhuमिहार सागर (@BhumiharSagar_) October 20, 2024
बाकी जरूरत पड़ी तो चंदा इकट्ठा करवा दूंगा , आजकल इसकी कुछ अधिक आवाज निकल रही हिंदुत्व के खिलाफ़ ।। pic.twitter.com/zUkuqXTY6A
इस विवादित पोस्ट का जवाब देते हुए एक अन्य युवक ने सागर पर पलटवार करते हुए लिखा, "इसको पूछ लेना मुँह काला करने पर कुछ और लाल हो जाती हैं..! उसके बाद आज तक कहीं नहीं गया मुँह काला करने! और सुन कहीं गलती से चला मत जाना, बहुत बुरा मारेंगे भीम आर्मी वाले।"
यह बयान स्पष्ट रूप से हिंसा और आक्रामकता को भड़काने वाला माना जा सकता है। ऐसे में, सोशल मीडिया पर इस तरह की टिप्पणियों ने माहौल को और भी गरमा दिया है। लोगों ने मांग की है कि भूमिहार सागर के खिलाफ जल्द से जल्द कड़ी कार्यवाही की जाए, क्योंकि एक वर्तमान सांसद के प्रति ऐसी बयानबाजी न केवल संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि समाज में असहिष्णुता और हिंसा को भी बढ़ावा देती है।
हालांकि, सांसद चंद्रशेखर आजाद की ओर से अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सोशल मीडिया पर लगातार बढ़ते इस विवाद के बीच सवाल उठता है कि ऐसे मामलों में कब और कैसे उचित कार्यवाही की जाएगी ताकि लोकतंत्र और कानून का सम्मान बना रहे।
सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियों और हिंसक धमकियों के इस प्रकरण ने न केवल सांसद चंद्रशेखर आजाद के समर्थकों को आक्रोशित किया है, बल्कि इसे लेकर व्यापक जनता में भी नाराजगी है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और कानून प्रवर्तन एजेंसियां इस पर कैसे और कब तक कार्रवाई करती हैं।