चित्रकूट, उत्तर प्रदेश—जनपद के रैपुरा थाना क्षेत्र के देहरुच गांव में किसानों की खड़ी फसल को गौशाला के गौवंश द्वारा चरने और उसके बाद ग्रामीणों पर फर्जी एफआईआर दर्ज होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव की दलित महिला प्रधान को मोहरा बनाकर गांव के चार निर्दोष किसानों पर झूठी एफआईआर दर्ज करवाई गई है, जबकि महिला प्रधान घटना के समय मौके पर मौजूद नहीं थीं।
फसलों को नुकसान, झगड़ा और फर्जी एफआईआर
ग्रामीणों के अनुसार, देहरुच गांव में गौशाला के गौवंशों ने किसानों की खड़ी फसलें चर लीं। जब ग्रामीणों ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए प्रधान पुत्र से गौवंशों को गौशाला में रखने की बात की, तो विवाद बढ़ गया और दोनों पक्षों में झगड़ा हो गया। इसके बाद, गांव के चार किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई।
गांव के ग्रामीणों का कहना है कि यह एफआईआर असल में प्रधानी करने वाले एक स्थानीय पटेल ने महिला प्रधान को आगे रखकर करवाई है। इस मामले में खास बात यह है कि महिला प्रधान दलित समुदाय से हैं, लेकिन असल में प्रधानी का काम एक पटेल परिवार द्वारा किया जा रहा है।
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— Abhimanyu Singh Journalist (@Abhimanyu1305) October 21, 2024
रैपुरा थाना प्रभारी के बिगड़े बोल...?
👉🏾 ग्रामीणों ने बताया पूरे गांव के किसानों की खड़ी फसल गौशाला के गौवंश खा गए। ऊपर से चार ग्रामीणों पर फर्जी एफआईआर दर्ज हो गयी।
👉🏾 जनपद के रैपुरा थाना क्षेत्र देहरुच गांव में दलित महिला प्रधान है, लेकिन प्रधानी गांव के एक पटेल… pic.twitter.com/I3fMX8QMpt
गौशाला की स्थिति और विवादित एफआईआर
इस घटना के बाद, गांव के दर्जन भर से अधिक लोग पुलिस स्टेशन पहुंचे और बताया कि महिला प्रधान झगड़े के समय मौके पर नहीं थीं। इसके बावजूद महिला प्रधान के नाम से दर्ज शिकायत में कहा गया है कि वह झगड़े के समय गौशाला में भूसा लेकर जा रही थीं, जब ग्रामीणों ने उन पर हमला किया। ग्रामीणों ने इस दावे को पूरी तरह गलत बताया।
गौशाला की वीडियो फुटेज देखने पर यह भी सामने आया कि वहां केवल दो गौवंश मौजूद थे और जहाँ भूसा डाला जाता है (चरही), वहां सिर्फ गोबर फैला हुआ था, भूसा का कोई अता-पता नहीं था।
जातिवादी भेदभाव का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि इस मामले में रैपुरा थाना प्रभारी और प्रधानी करने वाले हिस्ट्रीशीटर पटेल का गठजोड़ है, जिसके कारण चार निर्दोष लोगों पर जातिगत भेदभाव के तहत फर्जी कार्यवाही की गई। ग्रामीणों ने मीडिया से बातचीत के दौरान इस पूरे मामले को जातिवादी रंग दिए जाने का भी आरोप लगाया। उनका कहना है कि थाना प्रभारी भी पटेल समुदाय से हैं, इसलिए यह कार्रवाई उनके पक्ष में की गई है।
ग्रामीणों की मांग: निष्पक्ष जांच
ग्रामीणों ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए गांव के लोगों से पूछताछ की जाए और यह देखा जाए कि क्या महिला प्रधान वाकई झगड़े के समय मौके पर मौजूद थीं।
यह मामला अब जांच के दायरे में है, लेकिन ग्रामीणों की नाराजगी और प्रशासनिक अधिकारियों पर जातिवादी भेदभाव के आरोपों ने इसे और अधिक संवेदनशील बना दिया है।
यह मामला चित्रकूट जिले के ग्रामीण क्षेत्र में प्रशासन और स्थानीय राजनीति के जातिवादी समीकरणों पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। अब देखना यह है कि इस मामले की जांच किस तरह से की जाती है और क्या आरोपियों को न्याय मिल पाएगा या नहीं।