आज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को विश्व की सबसे अमीर पार्टी के रूप में जाना जा रहा है। यह स्थिति कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी, जो 70-75 सालों तक सत्ता में रही, कभी हासिल नहीं कर पाई। बीजेपी ने अपने छोटे से राजनीतिक जीवनकाल में इतनी तेज़ी से बढ़त बनाई कि वह आज न केवल देश की सबसे बड़ी बल्कि सबसे अमीर पार्टी भी बन गई है।
लेकिन इस प्रगति के साथ-साथ विवाद और आरोप भी जुड़ते जा रहे हैं। हाल ही में 8000 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बांड घोटाले का मामला सामने आया है, जिसने भारतीय राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। बैंगलोर कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं, जिससे कई बड़े नेताओं और अधिकारियों पर उंगलियाँ उठ रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शुरुआती दिनों में कहा था, "ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा।" लेकिन आज विपक्ष और आलोचकों का आरोप है कि यह नीति अब "खाऊँगा भी, चुराऊँगा भी, और वसूली से सताऊँगा भी" में बदल गई है। विपक्ष का कहना है कि बीजेपी ने सत्ता का दुरुपयोग करके इस घोटाले को अंजाम दिया है।
आज बीजेपी विश्व मैं सबसे अमीर पार्टी कही जाती है।
— M G (@movohra) September 30, 2024
कांग्रेस पार्टी ७०-७५ साल मैं इतनी अमीर पार्टी नहीं बन पायी।
बीजेपी छोटे से समय मैं बहुत बड़ी पार्टी बन गई।अमीर पार्टी हो गई।
हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री कहते थे ना खाऊँगा ना खाने दूँगा।
मगर आज खाऊँगा भी, चुराऊँगा भी और वसूली… pic.twitter.com/TpxVtJHlTH
इस पूरे मामले में वित्त मंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरके शर्मा और अबरार खान जैसे राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वित्त मंत्री को इस मामले में नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। उनका कहना है कि इलेक्टोरल बांड का खेल भारतीय राजनीति में पहले कभी इस पैमाने पर नहीं देखा गया।
आरके शर्मा और अबरार खान के बीच इस चर्चा में यह बात सामने आई कि यह घोटाला बीजेपी के धनबल और राजनीतिक ताकत के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है। इलेक्टोरल बांड की प्रणाली को पारदर्शी बनाने के बजाय, इसका दुरुपयोग करके राजनीतिक पार्टियों ने अपने फंड को छुपाने और सत्ता में बने रहने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
अब सवाल उठता है कि क्या भारतीय राजनीति में पारदर्शिता और ईमानदारी की बात केवल भाषणों तक सीमित रह गई है, या फिर इसके पीछे कोई ठोस कार्रवाई भी होगी?