राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग तहसील के कुम्हेर गांव में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहां खेल रहे चार दलित बच्चों पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया गया। इस दर्दनाक घटना में एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। आरोपी ड्राइवर घटना के बाद मौके से फरार हो गया, और गुस्साए परिजन धरने पर बैठ गए हैं।
कुम्हेर थाना इंचार्ज बनवारी लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि सुगड़ सिंह, जो जया गांव का निवासी है, ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करवाई है। रिपोर्ट के अनुसार, उनके दो बेटे—रोहन (8), कान्हा (12)—और छोटे भाई मुकुट सिंह का बेटा नवजीत (10) शनिवार शाम 5 बजे घर के बाहर खेल रहे थे। तभी पंकज जाट नामक व्यक्ति ने ट्रैक्टर चलाकर उन पर हमला कर दिया, जिससे तीनों बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए।
खेल रहें चार दलित बच्चों पर चढा दिया ट्रैक्टर, एक कि मौत, दो घायल
— Ambedkarite People's Voice (@APVNews_) September 29, 2024
राजस्थान के भरतपुर जिले डीग के कुम्हेर में घर के बाहर खेल रहे तीन चचेरे भाइयों पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। घटना में एक बच्चे की मौत और दो गंभीर घायल हो गए। आरोपी ड्राइवर ट्रैक्टर को छोड़कर फरार हो गया। बच्चे की मौत से… pic.twitter.com/7pOhRLHRIc
परिजन तुरंत घायल बच्चों को कुम्हेर हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने बच्चों की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें आरबीएम अस्पताल रेफर कर दिया। इलाज के दौरान आठ वर्षीय रोहन की मौत हो गई, जबकि अन्य दो बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है।
इस दर्दनाक घटना के बाद, मृतक बच्चे रोहन के परिजन और गांववाले अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि दोषी को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जाए। गुस्साए परिजन ट्रैक्टर चालक की गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कुम्हेर थाना इंचार्ज ने बताया कि मामले की जांच जारी है और आरोपी ड्राइवर की तलाश की जा रही है। पुलिस ने घटना स्थल से ट्रैक्टर को जब्त कर लिया है और इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। प्रशासन ने पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।
यह घटना न केवल स्थानीय क्षेत्र में बल्कि पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई है। दलित समुदाय और अन्य संगठनों ने इस घटना पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है और सरकार से न्याय की मांग की है। कई लोगों का मानना है कि यह मामला सिर्फ दुर्घटना का नहीं, बल्कि जातीय भेदभाव और सामाजिक असमानता का एक और उदाहरण है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि पुलिस आरोपी को कब तक गिरफ्तार कर पाती है और पीड़ित परिवार को न्याय कब मिलेगा।