उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था और पुलिस की भूमिका पर एक बार फिर से गंभीर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में एक घटना ने लोगों का गुस्सा और अविश्वास बढ़ा दिया है, जहां यूपी पुलिस पर पत्रकारों की रिपोर्टिंग रोकने, वीडियो डिलीट करवाने और पीड़ित परिवार के साथ दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं।
घटना के अनुसार, पीड़ित प्रिया मौर्य के परिवार को न्याय दिलाने की जगह, पुलिस ने उनके भाई को थप्पड़ मारा और एक पत्रकार को लात मारकर धमकाया। पुलिस का यह बर्ताव न केवल कानून के नियमों का उल्लंघन करता है, बल्कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
घटनास्थल पर मौजूद पत्रकारों ने जब मामले की रिपोर्टिंग करने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें वीडियो डिलीट करने का आदेश दिया। यह घटना न केवल पत्रकारों के कार्य में बाधा डालती है, बल्कि यह दर्शाती है कि पुलिस खुद को कानून से ऊपर समझ रही है। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें साफ दिखाया गया है कि पत्रकार को किस तरह से दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा।
प्रिया मौर्या आत्महत्या कांड: खागा कोतवाल का कहर, न्याय की वजाय पत्रकारों सहित पीड़िता के भाई को मारा पीटा और अभद्र गालियां दी
— Raj Kumar Kabir (@rajkumarkabir1) September 30, 2024
घटना का सज्ञान लेते हुए उचित कार्यवाही करें @Uppolice #प्रिया_मौर्या_को_न्याय_दो pic.twitter.com/KYIF1MXyKw
प्रशासन और पुलिस के इस रवैये पर सवाल उठाते हुए लोगों ने इसे जातिवादी मानसिकता करार दिया है। पुलिस के बर्ताव को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वे आरोपियों को पकड़ने के बजाय पीड़ित परिवार को ही प्रताड़ित कर रहे हैं। पीड़ित परिवार के साथ किए गए इस दुर्व्यवहार ने लोगों के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर दी है।
इस घटना के बाद आम जनता में आक्रोश फैल गया है। लोगों का कहना है कि पुलिस वर्दी और सत्ता की गर्मी में लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने का प्रयास कर रही है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर पुलिस के इस रवैये की निंदा की और चेतावनी दी कि यदि आम जनता ने लोकतंत्र की ताकत दिखाई, तो पुलिस और प्रशासन को अपने बर्ताव के लिए माफी मांगनी पड़ेगी।
उत्तर प्रदेश पुलिस का यह रवैया बेहद निंदनीय है। पत्रकारों और पीड़ित परिवार पर हमले से लोकतांत्रिक प्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं। ऐसे मामलों में पुलिस को कानून का पालन करने के साथ-साथ पीड़ितों को सुरक्षा और न्याय प्रदान करना चाहिए, न कि उनकी आवाज को दबाने का प्रयास। इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि कानून और व्यवस्था को सही ढंग से लागू करने के लिए पुलिस प्रशासन में सुधार की सख्त जरूरत है।