उत्तर प्रदेश में पेपर लीक को रोकने के लिए लागू की गई नई रणनीतियों ने एक प्रभावशाली बदलाव का संकेत दिया है। हाल ही में हुई सिपाही भर्ती परीक्षा में पेपर लीक माफिया को हराने में यूपी की सफलतापूर्वक रणनीति ने अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह मॉडल इतनी प्रभावशाली साबित हो रही है कि अन्य राज्यों को अपने पुलिस अधिकारियों और मंत्रियों को यूपी भेजने की योजना बना सकते हैं।
पिछले वर्षों में, यूपी में परीक्षा के दौरान पेपर लीक की घटनाओं ने शिक्षा प्रणाली को प्रभावित किया था। लेकिन इस बार, राज्य ने एक नई प्रक्रिया को अपनाया है जिससे कि पेपर लीक की संभावना को पूरी तरह से नकारा जा सके। इस रणनीति में पेपर सेट से लेकर परीक्षा केंद्र तक पेपर को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
परीक्षा के लिए प्रत्येक दिन अलग-अलग एजेंसियों को पेपर सेट और प्रिंटिंग का काम सौंपा गया। तीन से चार सेटों में पेपर तैयार किया गया और उनकी छपाई के बाद प्रश्न पत्र के स्थान को गोपनीय रखा गया। इसके अलावा, छपाई के बाद पेपर को जिलों के कोषागार तक पहुंचाने की जिम्मेदारी एक अलग एजेंसी को दी गई, जबकि कोषागार से परीक्षा केंद्र तक पेपर की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मैजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों की तैनाती की गई।
इस सबका परिणाम यह हुआ कि अब तक चार दिनों की परीक्षा में पेपर लीक माफिया को कहीं भी घुसने का कोई मौका नहीं मिला है। परीक्षार्थियों ने भी इस बार की व्यवस्था को सराहा है और उन्हें पूरा विश्वास है कि परीक्षा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित की जा रही है।
इस बार परीक्षा केंद्रों की संख्या को घटाकर 1174 कर दिया गया है, जिससे हर परीक्षार्थी पर निगरानी करने के लिए अधिक संसाधन और समय उपलब्ध है। सुरक्षा के मामले में कोई भी चूक न हो, इसके लिए हर परीक्षा कक्ष में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और इन सभी कैमरों की निगरानी तीन स्तरों पर की जा रही है—परीक्षा केंद्र, जिला मुख्यालय और भर्ती बोर्ड के मास्टर कंट्रोल रूम से।
इसके अतिरिक्त, यूपी पुलिस और एसटीएफ ने 1541 संदिग्ध अपराधियों पर निगरानी रखी है, जो पिछले वर्षों में पेपर लीक और सॉल्वर गैंग से जुड़े रहे हैं। इन ठोस उपायों ने यह सुनिश्चित किया है कि परीक्षा बिना किसी दाग के सम्पन्न हो रही है, जो बेरोजगार युवाओं के लिए एक बड़ी जीत है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य राज्य इस यूपी मॉडल को अपनाएंगे और क्या इस रणनीति को देशभर में लागू किया जाएगा, ताकि शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से सुरक्षित बनाया जा सके।