आज भारत बंद पूरी तरह से सफल रहा, जिसमें देश के कई हिस्सों में छिटपुट घटनाओं के बावजूद जनसमर्थन देखने को मिला। बंद का आयोजन एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया था, जिसमें जनता ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस बंद में विशेष ध्यान आकर्षित किया एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद ने, जो नगीना के सांसद हैं और बहुजन समाज के प्रमुख नेता के रूप में जाने जाते हैं।
चंद्रशेखर आजाद ने अपने संघर्षशील स्वभाव को बरकरार रखते हुए, न केवल सड़कों पर उतरकर प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया, बल्कि संसद में भी आवाज़ उठाई। उन्होंने बंद के दौरान एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग के हितों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प के साथ संघर्ष किया। यह उनके इस आंदोलन का एक और उदाहरण है जो दर्शाता है कि वह केवल सत्ता के नहीं, बल्कि समाज के असली मुद्दों के लिए समर्पित नेता हैं।
इस नेता की अलग ही बात है, जब कुछ नहीं था तब भी सड़क पर SC/ST, ओबीसी वर्ग के अधिकारों के लिए सड़क पर था।
— Bhanu Nand (@BhanuNand) August 21, 2024
और आज बहुत कुछ है तब भी सड़क से लेकर संसद तक SC/ST ओबीसी वर्ग के लिये आवाज उठा रहा है।
बहुजन समाज के अन्य नेता भी चंद्रशेखर आजाद से सीखे.... pic.twitter.com/SwAnI6zpuG
भानु नंद, जो एक विचारक, इतिहास के पाठक, सामाजिक कार्यकर्ता, मानवतावादी, अंबेडकरवादी, समाजवादी, कर्पूरीवादी और मंडलवादी के रूप में जाने जाते हैं, ने चंद्रशेखर आजाद के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "इस नेता की अलग ही बात है, जब कुछ नहीं था तब भी सड़क पर SC/ST, ओबीसी वर्ग के अधिकारों के लिए सड़क पर था। और आज बहुत कुछ है तब भी सड़क से लेकर संसद तक SC/ST ओबीसी वर्ग के लिये आवाज उठा रहा है।"
भानु नंद की इस टिप्पणी ने चंद्रशेखर आजाद के संघर्ष को और भी विशेष बना दिया, और यह संदेश दिया कि सत्ता में रहते हुए भी अपने आदर्शों और मूल्यों के प्रति निष्ठा बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। आजाद का यह संकल्प और समर्पण उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाता है, और यही कारण है कि वे जनता के दिलों में विशेष स्थान रखते हैं।
भारत बंद की सफलता और चंद्रशेखर आजाद की भूमिका ने बहुजन समाज के अन्य नेताओं के लिए एक मिसाल कायम की है। भानु नंद ने अपनी टिप्पणी में इसी बात पर जोर दिया कि अन्य नेताओं को भी आजाद से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने समाज के हितों की रक्षा के लिए इसी तरह की निष्ठा और साहस दिखाना चाहिए।
इस बंद के माध्यम से चंद्रशेखर आजाद ने यह साबित कर दिया कि वे केवल एक नेता ही नहीं, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से समझने वाले जनसेवक भी हैं। उनका यह संघर्षशील स्वभाव आने वाले समय में भी बहुजन समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।