प्रसिद्ध सामाजिक विचारक और लेखक प्रोफेसर दिलीप मंडल ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए एक महत्वपूर्ण ट्वीट किया। अपने ट्वीट में मंडल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सत्तर साल से लंबित सामाजिक न्याय से जुड़े लगभग सारे कार्य पूरे कर दिए हैं।
मंडल ने अपने ट्वीट में लिखा, "सामाजिक न्याय के सत्तर साल से पेंडिंग लगभग सारे काम नरेंद्र मोदी ने कर ही दिए हैं। अब अगर कोलिजियम सिस्टम को ख़त्म करके न्यायपालिका में 180 परिवारों के एकाधिकार को वे तोड़ देते हैं ताकि गरीब सवर्ण और अन्य वंचित भी जज बन सकें और पेंडिंग केस खत्म में हों तो… मैं संगम में गंगा नहाकर सीधे लॉस एंजिलिस चला जाऊँगा।"
मंडल ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि देश का पूरा ध्यान 'विकसित भारत 2047' की ओर केंद्रित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में अब स्थिरता आनी चाहिए और अब किसी भी तरह के सामाजिक विभेद की बात नहीं होनी चाहिए।
प्रोफेसर दिलीप मंडल का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब न्यायपालिका में सुधारों की मांग तेज होती जा रही है। कोलिजियम सिस्टम, जो कि न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, को लेकर लगातार विवाद बना हुआ है। इस सिस्टम के तहत कुछ चुनिंदा परिवारों और व्यक्तियों का दबदबा होने की शिकायतें लंबे समय से आ रही हैं।
सामाजिक न्याय के सत्तर साल से पेंडिंग लगभग सारे काम नरेंद्र मोदी ने कर ही दिए हैं।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 20, 2024
अब अगर कोलिजियम सिस्टम को ख़त्म करके न्यायपालिका में 180 परिवारों के एकाधिकार को वे तोड़ देते हैं ताकि गरीब सवर्ण और अन्य वंचित भी जज बन सकें और पेंडिंग केस खत्म में हों तो…
… मैं संगम में… pic.twitter.com/RjvOhxvMtJ
मंडल का सुझाव है कि अगर मोदी सरकार इस सिस्टम को खत्म कर देती है तो इससे न्यायपालिका में अधिक समावेशिता आएगी और गरीब सवर्ण और अन्य वंचित वर्गों के लोग भी जज बनने का मौका पा सकेंगे। इससे न केवल न्यायपालिका में समानता और पारदर्शिता आएगी, बल्कि लंबित मामलों की संख्या में भी कमी आएगी, जो भारतीय न्यायपालिका की एक बड़ी समस्या है।
'विकसित भारत 2047' की दिशा में प्रोफेसर मंडल का सुझाव महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि अब देश को अपने भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जहां हर नागरिक को समान अवसर मिले और सामाजिक न्याय की बातें अतीत का हिस्सा बन जाएं।
दिलीप मंडल के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे एक विचारोत्तेजक सुझाव मान रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है और क्या न्यायपालिका में सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।