बरेली, उत्तर प्रदेश: बरेली के गुलाब नगर इलाके के चौधरी मोहल्ले में हाल ही में एक मकान की बिक्री ने समाजिक और धार्मिक विवाद को जन्म दे दिया है। पंजाब पुरा में नसीम बशीर की बहन शबनम द्वारा एक मकान खरीदे जाने के बाद क्षेत्रीय आबादी के बीच तनाव उत्पन्न हो गया है। स्थानीय निवासियों ने मकान के बाहर पलायन के पोस्टर चस्पा कर दिए हैं और विरोध प्रदर्शन किया है।
शबनम ने हाल ही में पंजाब पुरा में स्थित एक मकान खरीदा, जो कि एक हिंदू परिवार का था। इस पर गली के अन्य निवासियों ने आपत्ति जताई और दावा किया कि एक अन्य संप्रदाय के व्यक्ति का उनके मोहल्ले में रहना स्वीकार्य नहीं है। निवासियों ने कई कारण बताए, जैसे कि सांस्कृतिक टकराव, धार्मिक भिन्नताएं और लव जिहाद की संभावनाएं। उनका कहना है कि इस प्रकार की घटनाओं से मोहल्ले में अशांति पैदा हो सकती है।
विवाद की सूचना मिलने के बाद, पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। पुलिस अधिकारियों ने दोनों पक्षों से बातचीत की और स्थिति को शांत करने की कोशिश की। रंगीन दुनिया की टीम भी मौके पर पहुंची और नसीम बशीर से बातचीत की। नसीम बशीर ने कहा कि उन्होंने किसी का दिल दुखाने के लिए मकान नहीं खरीदा और अगर किसी को कोई आपत्ति थी, तो वह मकान वापस करने को तैयार हैं।
गुलाब नगर के निवासियों में से कुछ ने इस विवाद के बारे में बात की। बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता है कि मकान का पैसा कहीं से आया है और यह भी चिंता जताई कि भविष्य में इस स्थिति से सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि अगर मकान बेचने या खरीदने की प्रक्रिया पारदर्शी होती, तो बेहतर होता।
मोहल्ले के निवासियों का कहना है कि उनका विरोध धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नताओं को लेकर है। उनका मानना है कि एक दूसरे संप्रदाय के व्यक्ति का उनके क्षेत्र में रहना सामाजिक शांति को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, मकान की बिक्री के दौरान की गई पारदर्शिता की कमी ने भी विवाद को बढ़ा दिया है।
यह विवाद अकेला नहीं है। कुछ समय पहले, दरगाह आला हजरत के पास जानशीन ताजु शरिया मुफ्ती मोहम्मद अजद ददा कादरी के दामाद सलमान मियां द्वारा एक मकान खरीदने पर भी इसी तरह का विवाद हुआ था। तब भी मकान के बाहर पलायन के पोस्टर चस्पा कर दिए गए थे।
बरेली के गुलाब नगर इलाके में पंजाब पुरा में मकान खरीदने को लेकर उत्पन्न हुआ विवाद दर्शाता है कि क्षेत्रीय समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नताएं कितनी संवेदनशील हो सकती हैं। इस विवाद का समाधान तभी संभव होगा जब दोनों पक्ष एक-दूसरे की संवेदनाओं का सम्मान करते हुए समझदारी और बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान निकालें।
आगे देखने वाली बात यह होगी कि इस विवाद का क्या समाधान निकलता है और क्या इस घटना के बाद समाज में एक नई दिशा की शुरुआत होगी या फिर सांप्रदायिक तनाव का सिलसिला जारी रहेगा।
रिपोर्ट: शिवम सिंह