गरुड़ पुराण, हिन्दू धर्म के 18 महापुराणों में से एक, मृत्यु और मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच संवाद के रूप में लिखा गया है।
मृत्यु के समय:
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के समय, प्राणी के सभी इंद्रिय शक्तियां क्रमशः निष्क्रिय हो जाती हैं। सबसे पहले, गंध की शक्ति जाती है, उसके बाद स्वाद, स्पर्श, दृष्टि और श्रवण। अंत में, मन और बुद्धि भी काम करना बंद कर देते हैं। इसके बाद, आत्मा शरीर से अलग हो जाती है।
यमलोक यात्रा:
गरुड़ पुराण में यमलोक यात्रा का विस्तृत वर्णन है। मृत्यु के बाद, यमदूत आत्मा को यमलोक ले जाते हैं। मार्ग में, आत्मा को स्वर्ग और नरक के द्वार देखने को मिलते हैं। यमलोक में, यमराज आत्मा के कर्मों का हिसाब करते हैं और उसे अगले जन्म के लिए योनि सौंपते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार, यमलोक यात्रा में आत्मा को निम्नलिखित चरणों से गुजरना पड़ता है:
- मृतदेह त्याग: मृत्यु के बाद, आत्मा मृत शरीर को त्याग देती है।
- प्रेत योनि: कुछ लोगों की आत्माएं मृत शरीर से चिपकी रह जाती हैं और प्रेत योनि में भटकती रहती हैं।
- यमदूतों का आगमन: यमदूत आत्मा को पकड़कर यमलोक ले जाते हैं।
- यमलोक यात्रा: मार्ग में, आत्मा को विभिन्न यमलोक दर्शन होते हैं।
- यमराज का दरबार: यमराज आत्मा के कर्मों का हिसाब करते हैं।
- दंड या पुरस्कार: कर्मों के अनुसार, आत्मा को स्वर्ग या नरक भेजा जाता है।
- अगला जन्म: आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार अगले जन्म के लिए योनि सौंपी जाती है।
गरुड़ पुराण का महत्व:
गरुड़ पुराण मृत्यु और मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह ग्रंथ हमें सिखाता है कि मृत्यु अनिवार्य है और हमें अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि हम मृत्यु के बाद यमलोक में दंड से बच सकें।
ध्यान दें:
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गरुड़ पुराण में मृत्यु और मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में जो वर्णन दिया गया है, वह एक धार्मिक विश्वास है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, मृत्यु के बाद क्या होता है, इस बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं है।